यूएई दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2028 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन या सीओपी33 की मेजबानी भारत में करने का शुक्रवार को प्रस्ताव रखा है. इसके साथ-साथ पीएम ने कार्बन सिंक बनाने पर केंद्रित ग्रीन क्रेडिट पहल शुरू की. पीएम मोदी ने कहा है कि भारत ने 2030 तक उत्सर्जन की तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने, गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है.
दुबई में सीओपी28 को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह पर है. भारत ने पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच बेहतरीन संतुलन बनाकर दुनिया के सामने विकास का एक मॉडल पेश किया है. भारत ने विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाकर दुनिया के सामने एक महान उदाहरण पेश किया है.
पीएम ने कहा कि भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है जो ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को हासिल करने की राह पर है. पीएम मोदी सीओपी28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के अध्यक्ष साइमन स्टिल के साथ उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने वाले एकमात्र नेता थे. पीएम ने अमीर देशों से जलवायु परिवर्तन से निपटने और मदद करने के लिए टेक्नोलॉजी शेयर करने का आह्वान किया.
धरती के अनुकूल जीवन पद्धति अपनाने की अपील
प्रधानमंत्री ने पर्यावरण के लिए जीवन शैली का समर्थन करते हुए देशों से धरती के अनुकूल जीवन पद्धतियों को अपनाने और गहन उपभोक्तावादी व्यवहार से दूर जाने का आग्रह भी किया. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि यह दृष्टिकोण कार्बन उत्सर्जन को 2 बिलियन टन तक कम कर सकता है. पीएम ने कहा कि सभी के हितों की रक्षा की जानी चाहिए और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सभी की भागीदारी जरूरी है.