नौदुर्गा पर्व से पहले सज़ने लगे है पंडाल, मूर्तिकार भी मूर्ती को दे रहे है अंतिम रूप

मंगलवार से देश भर में नवरात्रि का त्यौहार शुरू हो रहा है. इस बार नवरात्रि दस अक्टूबर से अठाहर अक्टूबर तक मनाई जाएगी. यह त्‍योहार पूरे भारत वर्ष में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. साल में दो बार नवरात्र‍ि पड़ती हैं, जिन्‍हें चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है. इस मौके पर मूर्तीकार से लेकर पंडाल सजाने का काम अपनी बड़ी तेज़ी से पूरा किया जा रहा है. देश भर में जगह जगह दुर्गा पुजा के लिए पंडाल बनाई जा रहे है तो वही मूर्तीकार अपने कला के रंग को आख़िरी रूप देने में लगे है.

पिछले कुछ दिनों से चल रहे पितृपक्ष के चलते इन मूर्तिकारों की आमदनी में भी फर्क पड़ा है. मान्यता है की नौ दुर्गा से पहले पितृपक्ष (शराद) पड़ने के कारण कोई भी शुभकार्य सही नहीं माना जाता है. जिसके चलते मूर्तियों की बिक्री पर भी फर्क पड़ रहा है. मूर्तिकार अतुल राम के मुताबिक शराद में एक भी मूर्ती नहीं बिकी है बहुत मुश्किल से घर का खर्चा निकल रहा है. लेकिन नौरात्रि का त्यौहार आने से अब इनके पास भी मूर्ती बनाने के आर्डर आने लगे है और आमदनी में भी इज़ाफ़ा हुआ है.

आपको बता दे कि उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों की पूजा की जाती है. भक्‍त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लेते हैं. इन नौ दिनों में देश के कई हिस्सों में रामलीला का भी आयोजनज किया जाता है. पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के आखिरी चार दिनों यानी कि षष्‍ठी से लेकर नवमी तक दुर्गा उत्‍सव मनाया जाता है. वहीं गुजरात और महाराष्‍ट्र में डांडिया रास और गरबा डांस की धूम रहती है. राजस्‍थान में नवरात्रि के दौरान राजपूत अपनी कुल देवी को प्रसन्‍न करने के लिए पशु बलि भी देते हैं.

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