उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है. मामला प्रयागराज के सरकारी अस्पताल में एक महिला की नसबंदी के बाद भी मां बन जाने का है. इसे लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज अस्पताल के सीएमओ से जवाब तलब किया है. प्रयागराज के करछना के शिवपुरा की मंजू पति शिव मोहन संग मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करती हैं. दो बेटे पैदा होने के बाद आशा बहू विजय लक्ष्मी ने उन्हें नसबंदी के लिए प्रोत्साहित किया. इसके बाद आर्थिक स्थिति को देख दंपति इस पर राजी हो गए थे. 20 नवंबर 2020 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के डॉक्टर ने नसबंदी की.
मंजू को 2023 में पेट में दर्द शुरू हुआ पर 11 जुलाई 2023 को उन्होंने अस्पताल में दिखाया तो पता लगा कि वह फिर से मां बनने वाली हैं. यह सुन वह सन्न रह गईं. नसबंदी के बाद भी गर्भ ठहरने पर मंजू ने क्षतिपूर्ति का दावा किया. इस पर सीएचसी अधीक्षक ने 22 जुलाई 2023 को दावे के प्रपत्र सीएमओ प्रयागराज को कार्यवाई के लिए अग्रसारित कर दिया. लेकिन, उस पर कोई कार्यवाई नहीं की गई.
23 फरवरी 2024 को महिला ने बच्ची को दिया था जन्म
इसी दौरान 23 फरवरी 2024 को महिला ने बेटी को जन्म दिया. बिटिया के जन्म के बाद दंपति पर तीन बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी आ गई. आर्थिक तंगी से जूझ रही मां ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है. नसबंदी के बावजूद मां बनने पर महिला मजदूर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा, बिटिया के लालन-पालन का खर्च सरकार उठाए. दिहाड़ी कर तीन बच्चे पालना मेरे बस में नहीं है. इस पर कोर्ट ने सीएमओ प्रयागराज को छह हफ्ते में जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
नहीं मिली प्रोत्साहन राशि
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी. रमेश की अदालत ने प्रयागराज निवासी मंजू की ओर से अनचाहे गर्भ की क्षतिपूर्ति की मांग वाली याचिका निस्तारित करते हुए दिया है. कोर्ट ने सीएमओ प्रयागराज को मामले की जांच छह हफ्ते में पूरी कर कार्रवाई करने का आदेश देते हुए याचिका निस्तारित कर दी. कोर्ट में सुनवाई के दौरान याची ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत उसने प्रोत्साहन राशि का दावा भी किया, लेकिन वह नहीं मिला. अनचाहे गर्भ के लिए सरकारी डॉक्टर जिम्मेदार है. लिहाजा, मुआवजे देने के साथ ही सरकार बिटिया के लालन-पालन की जिम्मेदारी भी उठाए