अरविंद केजरीवाल ने सिद्धू की जमकर की तारीफ, रेत माफिया को लेकर सीएम चन्नी पर साधा निशाना

चंडीगढ़: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिद्धू (Navjot Sidhu) की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह जनता के मुद्दों को उठा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें दबाने पर तुली है. दरअसल, संवादाताओं से बातचीत करते हुए सीएम केजरीवाल ने कहा कि सिद्धू ने कल मंच पर जो कहा, मैं उनकी बहादुरी की सराहना करता हूं. (मुख्यमंत्री चरणजीत) चन्नी कह रहे थे कि ‘मैंने राज्य में रेत माफिया को खत्म कर दिया है और रेत की कीमतें 5 रुपये प्रति किलो तक कम कर दी हैं. इस पर तुरंत, सिद्धू ने कहा था कि ‘नहीं … यह झूठ है. दर अभी भी ₹20’ है.

उन्होंने कहा कि सिद्धू ने खुद कहा कि चन्नी जो भी वादे कर रहे हैं, वे झूठे हैं. सिद्धू जनता के मुद्दों को उठा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें दबा रही है. पहले कैप्टन साहब (पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह) और अब चन्नी साहब उन पर दबाव बना रहे हैं. सिद्धू जी अपने सिद्धांतों पर टिके रहकर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं.

इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने सिद्धू की तारीफ करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी पर जमकर निशाना साधा और कहा कि सत्तारूढ़ कांग्रेस पंजाब में 2017 के चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रही है. इससे पहले भी उन्होंने सीएम चन्नी पर उनके अभियान की नकल करने का भी आरोप लगाया था.

उधर, अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार करने पहुंचे अरविंद केजरीवाल द्वारा तारीफ करने पर सिद्धू के आम आदमी पार्टी में शामिल होने को लेकर राजनीतिक गलियारों में सुगबुाहट भी शुरू हो गई है. इससे पहले भी उस वक्त अफवाहें उड़ी थीं जब कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू को “अवसरवादी” बताते हुए कहा कि वह ‘आप’ में शामिल हो सकते हैं. जिस पर पलटवरा करते हुए सिद्धू ने चुनौती देते हुए कहा था कि अमरिंदर सिंह यह साबित करें कि वह अरविंद केजरीवाल या किसी अन्य पार्टी के किसी नेता से मिले थे.

गौरतलब है कि 2017 के पंजाब चुनाव से पहले भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए सिद्धू अगले साल के चुनाव के लिए अपनी ही पार्टी और मुख्यमंत्री चन्नी पर लगातार निशाना साध रहे हैं. जब अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री थे, तब भी उन्होंने लगातार सवाल उठाए थे. जिसके बाद दोनों के बीच गहरी खाई पैदा हो गई थी और आखिर में अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने से पहले तक राज्य में सरकार तक गिरने की कगार पर आ गई थी.

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