उद्धव ठाकरे सरकार को SC से बड़ा झटका, कल ही फ्लोर टेस्ट का करना होगा सामना

महाराष्ट्र : महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सरकार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने फ्लोर टेस्ट (Floor Test) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. ऐसे में महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार को कल यानि शुक्रवार को सुबह 11 बजे फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ेगा. सूत्रों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे ऐसे में फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं. कल का जो भी परिणाम होगा वह हमारे अंतिम फैसले से बंधा होगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद नवाब मलिक और अनिल देशमुख को महाराष्ट्र विधानसभा में कल होने जा रहे फ्लोर टेस्ट में मतदान की अनुमति दे दी. दोनों ED के एस्कॉर्ट में आएंगे, मतदान के बाद वापस जेल लौट जाएंगे. दोनों नेताओं ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर वोटिंग की इजाजत मांगी थी.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिवसेना की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट बहुमत जानने के लिए होता है. इसमें इस बात की उपेक्षा नहीं कर सकते कि कौन वोट डालने के योग्य है, कौन नहीं. स्पीकर के फैसले से पहले वोटिंग नहीं होनी चाहिए. उनके फैसले के बाद सदन सदस्यों की संख्या बदलेगी. कोर्ट ने अयोग्यता के मसले पर 11 जुलाई के लिए सुनवाई टाली है. उससे पहले फ्लोर टेस्ट गलत है. 

उन्होंने कहा, ”फ्लोर टेस्ट कुछ दिनों के लिए टाल देना चाहिए. सिंघवी ने कहा कि 21 जून को ही यह (बागी) विधायक अयोग्य हो चुके हैं. जो लोग 21 जून से अयोग्य हो चुके हैं, उनके वोट के आधार पर सरकार का सत्ता से बाहर होना गलत है.”

इसपर जस्टिस ने कहा कि डिप्टी स्पीकर के पास बहुमत होना खुद ही विवादित है. इसलिए, अयोग्यता के मसले पर सुनवाई टाली गई है. सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट के लिए मंत्रिमंडल से सलाह नहीं ली. जल्दबाज़ी में निर्णय लिया है. जब कोर्ट ने सुनवाई 11 जुलाई के लिए टाली, तो इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए था.

सिंघवी ने कहा कि अगर 34 विधायकों ने ऐसा लिखा है तो सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले के मुताबिक उन्होंने पार्टी की सदस्यता छोड़ दी है. सिंघवी ने जिस फैसले का हवाला दिया, वह रवि नायक के मामले में आया था. सिंघवी ने कहा कि जी हां राज्यपाल ने इसकी पुष्टि की कोशिश नहीं की. विपक्ष के नेता राज्यपाल से मिले, फिर उन्होंने फ्लोर टेस्ट के लिए कह दिया.

राज्यपाल पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

इसपर जस्टिस ने कहा कि लेकिन राज्यपाल अपने विवेक का इस्तेमाल कैसे करें, यह कैसे तय किया जा सकता है. उन्हें पुष्टि की ज़रूरत लगी या नहीं, यह उन पर है. बहुमत तो सिर्फ फ्लोर पर ही परखा जा सकता है. क्या आप 34 की संख्या पर भी विवाद उठा रहे हैं.

इसपर सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल बीमार थे. अस्पताल से बाहर आने के 2 दिन के भीतर विपक्ष के नेता से मिले और फ्लोर टेस्ट का फैसला ले लिया.

इसके बाद जस्टिस ने कहा कि अगर राज्यपाल को लगता है कि सरकार ने बहुमत खो दिया है और कुछ विधायकों को स्पीकर के ज़रिए अयोग्य करार देने की कोशिश कर रही है, तो राज्यपाल को क्या करना चाहिए?

सिंघवी ने कहा कि जिन लोगों ने पाला बदल लिया, वह लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व नहीं करते. राज्यपाल को कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए थी. आसमान नहीं टूट पड़ेगा अगर कल ही फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो. जस्टिस ने कहा कि क्या यह लोग (बागी विधायक) विपक्ष की सरकार बनवाना चाहते हैं? सिंघवी ने कहा कि बिल्कुल, चिट्ठी में उन्होंने यही लिखा है.

एकनाथ शिंदे के वकील की दलील

सिंघवी की बहस खत्म होने के बाद एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जब स्पीकर के खिलाफ खुद अविश्वास प्रस्ताव हो तो वह विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई कर ही नहीं सकते. फ्लोर टेस्ट कभी भी टाला नहीं जाना चाहिए. यही हॉर्स ट्रेडिंग से बचने का सबसे सही तरीका होता है. दूसरा पक्ष कह रहा है कि अगर यह विधायक बाद में अयोग्य करार दिए गए तो फिर से फ्लोर टेस्ट की ज़रूरत पड़ेगी. लेकिन हमारा कहना है कि अयोग्यता का मसला लंबित होने के चलते अभी फ्लोर टेस्ट नहीं टाला जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट के सवाल
जस्टिस ने एकनाथ शिंदे के वकील से पूछा कि कितने विधायक सरकार का साथ छोड़ चुके हैं. इसपर कौल ने कहा कि 55 में से 39 हैं. इसलिए सीएम फ्लोर टेस्ट से बच रहे हैं. फिर जज ने पूछा कि कितनों को अयोग्यता का नोटिस जारी किया गया है. इसपर कौल ने कहा कि 16 को. साथ ही उन्होंने कहा कि हम शिवसेना नहीं छोड़ रहे हैं. हम ही शिवसेना हैं.

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