हरियाणा में बुलडोजर पर ब्रेक, समझें किस कानून से निर्माण होता है जमींदोज? जानें नियम

हरियाणा के नूंह में हिंसा के बीच दंगाइयों पर नकेल कसने के लिए प्रशासन का बुलडोजर गरजा और लगभग 753 निर्माण को जमींदोज कर दिया गया. हालांकि सोमवार को इस तोड़फोड़ पर हाइकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए बुलडोजर पर रोक लगा दी. साथ ही कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि आखिर किन नियमों के आधार पर कार्रवाई की गई और क्या पहले नोटिस जारी किया गया?

जब किसी अवैध निर्माण को हटाने के लिए आदेश आता है तो पहले उस संपत्ति मालिक को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है. इसमें संपत्ति मालिक को जवाब फाइल करने के लिए 15 से 45 दिनों का वक्त दिया जाता है. जो देश के अलग-अलग राज्यों के हिसाब से अलग-अलग है. जब संपत्ति मालिक का जवाब 15 से 45 दिनों के भीतर नहीं आता तो सरकारी आदेश पर बुलडोजर की कार्रवाई की जाती है.

बुलडोजर क्यों चलता है?
दरअसल अवैध निर्माण या किसी अतिक्रमण को हटाने के लिए ही बुलडोजर चलाया जाता है. जैसे कोई निर्माण बिना नक्शे का बना हो या फिर मास्टर प्लान का उल्लंघन हो यानी किसी सड़क में अवैध निर्माण की स्थिति हो. और अगर मान लीजिए आपने नक्शा पास करा लिया और फिर उसके बाहर जाकर निर्माण करते हैं तो ऐसी स्थिति में बुलडोजर चलता है.

बुलडोजर की कार्रवाई पर कानून?
बता दें कि कानून में अतिक्रमण के अलावा बुलडोजर चलाने का कोई नियम नहीं है. वहीं कुर्की जब्ती में भी बुलडोजर चलाने का नियम नहीं है.

क्यों इस्तेमाल करती है सरकार?
जब कोई अपराधी पकड़ से दूर है तो बुलडोजर चलता है और वो भी कानूनी प्रक्रिया से पहले होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार पब्लिक सेंटीमेंट के तुष्टीकरण को भुनाने के लिए और जनता के बीच एक सख्त सरकार के शासन होने का मैसेज देने के लिए किया जाता है. इसके अलावा तत्काल प्रभाव से किसी मामले में न्याय होता दिखाने के लिए भी किया जाता है. सरकार के इस तरह के एक्शन को जनता का एक वर्ग पसंद करता है. इसके चलते वोटबैंक मजबूत होता है. साथ ही सियासत में आपको टक्कर देने वाली राजनीतिक विरोधी कमजोर होता है.

कांग्रेस सरकारों को भी पसंद
जानकारी के मुताबिक सिर्फ बीजेपी शासित राज्य ही नहीं बल्कि कांग्रेस सरकारों को भी बुलडोजर बेहद पसंद है. राजस्थान में अप्रैल 2022 को गहलोत सरकार ने अलवर में मौजूद 300 साल पुराने शिव मंदिर पर बुलडोजर चलाया. यहां 100 दुकान और मकानों को भी ध्वस्त कर दिया. इसके बाद अप्रैल 2023 की है, जहां हिंदू विस्थापितों के घरों पर बुलडोजर चलवाए गए. वहीं जयपुर में राजस्थान पेपर लीक मामले के आरोपी सुरेश ढाका के कोचिंग इंस्टिट्यूट पर बुलडोजर चलाकर धवस्त कर दिया गया था.

कौन चला सकता है बुलडोजर?
बुलडोजर वही विभाग चलाता है जिसकी जमीन पर अतिक्रमण हो. इसमें जिला प्रशासन जैसे डीएम, एसडीएम, एडीएम साथ ही लोकल बॉडी के साथ-साथ जिला पुलिस भी इस कार्रवाई में शामिल होते हैं. लेकिन कहीं-कहीं ये स्थिति होती है. कोर्ट के ऑर्डर पर भी बुलडोजर की कार्रवाई होती है.

राज्य सरकारों में भी बुलडोजर प्रेम
बुलडोजर के मामले में सबसे पहले उत्तर प्रदेश की बात करते हैं. यहां कानपुर के कुख्यात आरोपी विकास दुबे के घर पर योगी सरकार ने बुलडोजर चलवा दिया. ढाई सालों में गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके करीबियों के 70 ज्यादा मकान मलबे में तब्दील कर दिए गए. मुख्तार अंसारी की संपत्तियों पर भी कार्रवाई की गई. इसमें कई मकान और दुकानें गिरा दी गईं.

निष्पक्ष होनी चाहिए कार्रवाई
बता दें कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से पहले कई बार सुप्रीम कोर्ट पर सरकारों को इस मामले पर नसीहत दे चुकी है. जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कहीं भी बुलडोजर चलाने की कार्रवाई में सबकुछ निष्पक्ष होना चाहिए और कानून के तहत प्रक्रिया का पालन हो. साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निर्माण गिराए जाने के प्रक्रिया में नियमों का पालन किया जाए. निष्पक्ष और पारदर्शी होकर फैसले लिए जाए. इससे पहले साल 2008 में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था और कहा था किसी भी अवैध निर्माण को गिराने में धारा 269 का पालन किया जाए. और पहले नगर निगम नोटिस जारी करे.

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