देशभर में 77वें स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) को मनाने की तैयारी पूरी हो चुकी है. लेकिन मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक राजधानी दिल्ली में आज (मंगलवार) को बारिश हो सकती है. इसकी वजह से स्वतंत्रता दिवस के जश्न में खलल पड़ने की उम्मीद जताई गई है. दरअसल आईएमडी के मुताबिक दिल्ली में आज यानी मंगलवार को हल्की बारिश होने का अनुमान है सकती है. अगर ऐसा हुआ तो इस बार पतंगबाजी का शौक रखने वाले लोगों को काफी निराशा होगी.
आईएमडी के मुताबिक दिल्ली में रविवार को अधिकतम तापमान 35.3 डिग्री और न्यूनतम तापमान 26.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. वहीं सोमवार को अधिकतम तापमान 34 डिग्री और न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया.
इन राज्यों में भी बारिश का अलर्ट
दिल्ली के अलावा आईएमडी ने पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी यूपी, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, झारखंड समेत कई अन्य राज्यों में बारिश की संभावना जताई है. वहीं पहाड़ों पर हो रही भारी बारिश का असर मैदानी इलाकों में भी नजर आने लगा है. इस क्रम में दिल्ली में यमुना नदी के जलस्तर में भी तेजी देखने को मिली है. केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के मुताबिक यमुना का जल स्तर बढ़ रहा है.
हिमाचल प्रदेश में 51 लोगों की मौत
हिमाचल प्रदेश में बारिश से हुई भारी तबाही के बीच कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई. इनमें से 14 लोगों की मौत शिमला में हुईं भूस्खलन की दो घटनाओं में हुई. बारिश के कारण कुछ स्थानों पर भूस्खलन हुए, जिसके चलते कई मुख्य सड़कें बंद हो गईं और कई घर ढह गए.
शिमला में दो जगह भूस्खलन
वहीं शिमला में दो जगह भूस्खलन हुआ, जहां से 14 शव बरामद किए गए. अधिकारियों ने कहा कि समर हिल क्षेत्र के भूस्खलन प्रभावित शिव मंदिर के मलबे के नीचे और भी लोग फंसे हो सकते हैं. सावन महीने के एक महत्वपूर्ण दिन पर पूजा करने के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ थी. बारिश से बुरी तरह प्रभावित सोलन जिले में एक ही परिवार के सात सदस्यों समेत 11 लोगों की मौत हो गई.
कई इलाकों में रविवार रात से बिजली नहीं
शिमला के एसपी संजीव कुमार गांधी ने बताया कि समर हिल और फागली के दो भूस्खलन स्थलों पर मलबे से 14 शव निकाले गए हैं, जबकि 17 लोगों को बचाया गया है. अधिकारियों ने कहा कि भारी बारिश के कारण शिमला में बचाव अभियान में बाधा आ रही है. कई हिस्सों में रविवार रात से बिजली नहीं है क्योंकि भूस्खलन और पेड़ों के उखड़ने से बिजली की लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं.