स्कूल की टपकती छत से परेशान थे बच्चे, टीचर ने खुद की तनख्वाह खर्च करा दी बिल्डिंग की मरम्मत

बरसात के हर मौसम में इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का बुरा हाल हो जाता था. इसलिए बच्चे अपनी पढ़ाई सही से नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में स्कूल की टीचर N Poonkodi ने 30,000 रुपए अपनी जेब से खर्च करके स्कूल के उन क्लासरूम्स की मरम्मत करवाई जहां से पानी टपक रहा था

टीचर और स्टूडेंट का रिश्ता दुनिया में सबसे अनोखा है. क्योंकि किसी भी बच्चे के भविष्य को तराशने में उसके मां-बाप से बड़ी भूमिका टीचर की होती है. कई स्कूल में ऐसे टीचर्स होते हैं जो बच्चों की बेहतरी के लिए हरसंभव मदद करते हैं. इन दिनों एक ऐसी कहानी लोगों के बीच छाई हुई है. जो हम सभी को प्रेरित करेगी. तमिलानाडु के एक दूरदराज के गांव में स्थित इस प्राइमरी स्कूल की कहानी यकीनन आपका भी दिल जीत लेगी.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक यहां के प्राइमरी स्कूल के बच्चे पढ़ नहीं पा रहे थे. ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि स्कूल की छत से टपकता पानी उन्हें फोकस नहीं करने दे रहा था. बरसात के हर मौसम में इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का बुरा हाल हो जाता था. इसलिए बच्चे अपनी पढ़ाई सही से नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में स्कूल की टीचर N Poonkodi ने 30,000 रुपए अपनी जेब से खर्च करके स्कूल के उन क्लासरूम्स की मरम्मत करवाई जहां से पानी टपक रहा था.

हालांकि स्कूल की छत सही करवाने के लिए एक लाख रुपये तो सरकार ने दिए थे. एक खबर के मुताबिक, N Poonkodi 55 किलोमीटर दूर Hosur से यहां पढ़ाने के लिए आती हैं और वो इस स्कूल में इकलौती टीचर हैं. वो बताती हैं, ‘मैंने चीफ एजुकेशनल ऑफिसर आर मुरुगन से छत को ठीक करवाने के लिए 1 लाख रुपये दिए थे.’ उन्होंने जो 30,000 रुपये खर्च किए दीवारों पर इंग्लिश और तमिल के अल्फाबेट लिखे हैं. टेबल्स भी लिखे गए हैं और कई नेताओं की तस्वीरें बनाई गई है.

यह स्कूल साल 2005-2006 में बनाया गया था. लेकिन बरसात के कारण कुछ ही समय में इसे मरम्मत की जरूरत पड़ गई. यहां बरसात के मौसम में लगातार टपकती छत की वजह से बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब हो रही थी. इसलिए स्कूल की टीचरने अपनी तरफ से आर्थिक सहयोग दिया. जिससे की इस स्कूल को इतनी अच्छे से ठीक किया जा सके, ताकि आने वाले कुछ सालों तक यहां फिर से किसी तरह की मरम्मत की जरूरत न पड़े.

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