‘बहकावे और उकसावे में न आएं’, 2024 के चुनाव को लेकर RSS प्रमुख मोहन भागवत की बड़ी अपील

महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपना वार्षिक विजयादशमी उत्सव किया. कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ, मुख्य अतिथि के तौर पर प्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन मौजूद रहे. कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मोहन भागवत ने युद्ध से लेकर आगामी चुनाव के बारे में जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 2024 चुनाव के दौरान किसी के बहकावे और उकसावे में न आएं. सबका अनुभव लेकर ही ‘बेस्ट’ को वोट दें.

रेशिमबाग मैदान में RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि भारत में शांति कायम रहे. वह कट्टरता से देश में हिंसा फैलाते हैं, यही कारण है कि आज दुनिया में युद्ध हो रहे हैं. भागवत ने आगे कहा कि आज दुनिया में भारत और भारतीयों का गौरव बढ़ रहा है. हर क्षेत्र में भारत तरक्की कर रहा है. दिल्ली में आयोजित हुए जी20 का जिक्र करते हुए भागवत ने का कि विदेश से आए मेहमानों के सत्कार को लेकर पूरी दुनिया में भारत की सराहना हुई है.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, हमारे धर्म, संस्कृति, समाज व देश की रक्षा, समय-समय पर उनमें जरूरी सुधार तथा उनके वैभव का संवर्धन जिन महापुरुषों के कारण हुआ, वे हमारे कर्तव्य संपन्न पूर्वज हम सभी के गौरवनिधान है और अनुकरणी हैं. हमारे देश में विद्यमान सभी भाषा, प्रांत, पंथ, संप्रदाय, जाति, उपजाति इत्यादि विविधताओं को एक सूत्र में बांधकर एक राष्ट्र के रूप में खड़ा करने वाले यही तीन तत्व मातृभूमि की भक्ति, पूर्वज गौरव व सबकी समान संस्कृति हमारी एकता का अक्षुण्ण सूत्र है.

संघ प्रमुख ने पूछा, क्या हमारी आपस में कोई समस्या नहीं है?
संघ प्रमुख ने कहा, हम समान पूर्वजों के वंशज, एक मातृभूमि की संताने, एक संस्कृति के विरासतदार, परस्पर एकता को भूल गए हैं. हमारे उस मूल एकत्व को समझकर उसी के आधार पर हमें फिर से जुड़ जाना है. उन्होंने कहा, क्या हमारी आपस में कोई समस्या नहीं है? क्या हमारी अपने विकास के लिए कोई आवश्यकता और अपेक्षा नहीं है? क्या पाने विकास के लिए हमारी आपस में स्पर्धा नहीं चलती है? क्या हममें से सब लोग मन, वचन, कर्म से इन एकात्मता के सूत्रों को मानकर व्यवहार करते हैं?

विदेश की कुछ आक्राम परंपराएं देश में प्रवेश की’
मोहन भागवत ने आगे कहा, समाज की स्थाई एकता अपनेपन से निकलती है, स्वार्थ के सौदों से नहीं. हमारा समाज बहुत बड़ा है, बहुत विविधताओं से भरा हुआ है. विदेश की कुछ आक्राम परंपराएं भी हमारे देश में प्रवेश कर गईं, फिर भी हमारा समाज इन बातों के आधार पर एक समाज बनकर रहा, इसलिए हम जब एकता की चर्चा करते हैं, तब हमें यह ध्यान रखना होगा कि यह एकता किसी लेन-देन के कारण नहीं बनेगी. अगर जबरदस्ती बनाई तो बार-बार बिगड़ेगी. आज के वातावरम में समाज में कलहग फैलाने के चले हुए प्रयासों को देखकर बहुत लोग स्वाभाविक रूप से चिंतित हैं.

प्राण प्रतिष्ठा में नहीं होगी अधिक लोगों की एंट्री

एशियन गेम्स में हिस्सा लेने वाली खिलाड़ियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश के खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में पहली बार 100 से अधिक पद जीतकर हम सबका उत्साहवर्धन किया है. अयोध्या राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का भी उन्होंने जिक्र किया. मोहन भागवत ने कहा कि 22 जनवरी को मंदिर में व्यवस्थागत कठिनाइयों और सुरक्षा के मद्देनजर बहुत कम संख्या में लोगों की उपस्थित रह सकेगी.

मणिपुर हिंसा में RSS को घसीटा गया

मणिपुर में हुई हिंसा पर उन्होंने कहा कि एक दशक से जिस राज्य में शांति थी वहां अचानक आपसी फूट कैसे लग गई? मणिपुर में सालों से RSS के लोग वहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं, हिंसा में में उन्हें भी घसीटने का प्रयास किया गया. हम सब लोग एक ही पूर्वज के वंशज हैं.

हमारा समाज बहुत ही बड़ा है. विविधता से भरे इस देश में, कालक्रम में कुछ विदेश की आक्रामक परंपराएं भी हमारे देश में प्रवेश कर गईं, फिर भी हमारा समाज इन्हीं तीन बातों के आधार पर एक समाज बनकर रहा.

गुंडागर्दी और जुबान पर लगाना होगा लगाम

शासन-प्रशासन के सहयोग से गुंडागर्दी पर हमें लगाम लगाना है. आने वाले दिनों में चुनाव होने वाले हैं ऐसे में, गालियां चलेंगी, हत्याएं होंगी. इन मुद्दों पर खूब राजनीति भी होगी लेकिन हमें इस उकसावे में नहीं आना है. मतदान प्रचार के समय किसी भी तरह के हथकंडों के चक्क में नहीं फसना है.

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