सपा-कांग्रेस में फॉर्मूला तय लेकिन इन दो मुस्लिम नेताओं को सीट नहीं देना चाहते अखिलेश यादव

लोकसभा चुनाव-2024 के लिए इंडिया गठबंधन में उत्तर प्रदेश को लेकर सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव की पार्टी सपा सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 50-52 सीटों पर लड़ सकती है. वहीं, कांग्रेस को 18 से 20 सीट मिल सकती हैं. इसके अलावा, जयंत चौधरी की पार्टी RLD 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है. इंडिया गठबंधन को उम्मीद है कि ओम प्रकाश राजभर उनके साथ आ सकते हैं, इसी वजह से वो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के लिए 2-3 सीटें छोड़ने पर विचार कर रहा है.

हालांकि, अखिलेश यादव इमरान मसूद और दानिश अली को सीट देने को राजी नहीं हैं. इमरान मसूद पश्चिमी यूपी के बड़े मुस्लिम नेता हैं. वह कांग्रेस का दामन थामे हुए हैं. वहीं, दानिश अली बसपा के निलंबित सांसद हैं. उधर, कांग्रेस अब भी गठबंधन में बसपा के शामिल होने का इंतजार कर रही है. अगर मायावती इंडिया गठबंधन में आ जाती हैं तब सीट शेयरिंग फॉर्मूले में बदलाव हो जाएगा.

एक ओर कांग्रेस गठबंधन में मायावती का इंतजार कर रही तो अखिलेश को बसपा मंजूर नहीं है. सपा ने बीएसपी को गठबंधन में शामिल किए जाने की किसी भी संभावना का विरोध किया है. सपा कह चुकी है कि यूपी में इंडिया गठबंधन में किसी चौथे दल की जरूरत नहीं है. सपा की तरफ से रामगोपाल यादव ने कहा था कि हमने दो बार बसपा से समझौता किया लेकिन बहुत खराब अनुभव रहा, लिहाजा अब समझौते को लेकर हम उत्सुक नहीं हैं.

बिहार में भी फंसा पेंच
लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीने बाकी हैं, लेकिन इंडिया गठबंधन की पार्टियों में सीटों को लेकर अब तक सहमति नहीं बन पाई है. यूपी में दानिश अली और इमरान मसूद को लेकर बात फंस रही है तो बिहार में भाकपा मुश्किल बढ़ा रही है. राज्य में सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल भाकपा माले ने हाल ही में तेजस्वी यादव के साथ बैठक के दौरान प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों में से पांच पर चुनाव लड़ने की अपनी मंशा जाहिर की.

बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं और सत्तारूढ़ गठबंधन में आठ दल शामिल हैं. बिहार विधानसभा में संख्या बल के आधार पर महागठबंधन में आरजेडी के पास सबसे अधिक विधायक हैं और उसके बाद जेडीयू, कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा और माकपा हैं. राज्य की 243 सदस्यीय विधानसभा में भाकपा माले के 12 सदस्य हैं और इसे लोकसभा सीट जीते हुए कई साल हो गए हैं.

बंगाल में क्या होगा?
इंडिया गठबंधन के लिए बंगाल से भी कोई बहुत अच्छी खबर नहीं है. तृणमूल कांग्रेस सीट बंटवारे पर कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति के साथ किसी भी बैठक में अपने प्रतिनिधियों को नहीं भेजने का फैसला लिया है, क्योंकि वह पहले ही कांग्रेस को अपने रुख से अवगत करा चुकी है.

कांग्रेस की गठबंधन समिति इंडिया के अपने सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे को लेकर राज्यवार बातचीत कर रही है. जानकारी के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस को उन दो सीटों की पेशकश की है जो उसने 2019 के लोकसभा चुनाव में जीती थीं. पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीट हैं. कांग्रेस का कहना है कि दो सीट बहुत कम है और इसे स्वीकार करना मुश्किल है.

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