हेलो हेलो मंत्री जी बोल रहे है…केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुज्जर ने दिखाई दरियादिली..पढ़िए दिल को छू लेने वाला एक वाकया..

फरीदाबाद: हेलो हेलो मंत्री जी बोल रहे है। फ़ोन के दूसरी तरफ से एक पीड़ित पिता की आवाज़ आ रही थी। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुज्जर रोजाना की तरह अपने दफ्तर में एक महत्वपूर्ण बैठक ले रहे थे। जैसे ही मंत्री जी ने फ़ोन उठाया दूसरी तरफ से एक आवाज़ ने सभी को शांत कर दिया। पीड़ित पिता बोला मंत्री जी मैं बीते कई वर्षो से हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में रहता हूँ. पीड़ित पिता ने अपना नाम कुछ मिस्टर चौहान बताया। पिता इतना परेशान और डरा हुआ था कि वह मंत्री जी से पूरी बात बोलने में हिचक रहा था। लेकिन मंत्री जी ने पिता का साहस बांधते हुए कहा की आप घबराइए नही खुलकर बोलिये क्या समस्या हैं।

अचानक पीड़ित पिता का फ़ोन कट जाता हैं जिसके बाद मंत्री जी ने तुरंत फ़ोन मिलाकर उससे पूरी बात जानने की कोशिश की। दरअसल हिमाचल प्रदेश में बैठे पिता को अपने बेटे की चिंता सता रही थी। उनका बेटा (मोहित कुमार चौहान) मथुरा रेलवे स्टेशन पर संकट में था बेटे का किसी ने पर्श-सामान सब कुछ चोरी कर लिया था। बीते कई घण्टे से बेटे की कोई मदद नहीं कर रहा था। मथुरा रेलवे स्टेशन के बारे में बेटा अंजान था। मोहित ने जैसे तैसे अपने पिता को फ़ोन पर सब कुछ आप बीती बतायी। जिसके बाद पिता न अपने दिल्ली और फरीदाबाद रहने वाले रिश्तेदारों को मदद के लिए कहा। लेकिन सहायता नहीं पहुँच सकी। शाम धीरे धीरे रात में तब्दील हो रही थी दूसरी तरफ पिता का परेशानी का पारा चढ़ रहा था।

फिर उसके बाद पीड़ित पिता ने मंत्री जी को फ़ोन किया और पूरी घटना के बारे में बताया। जिसके बाद मंत्री जी ने तुरंत कार्यवाही करते हुए मथुरा में अपने किसी साथी को रेलवे स्टेशन पहुँच कर बेटे की सहायता करने को कहा। बेटे मोहित को कुछ क्षणों में सहायता मिल भी गई। उसके खाने पीने और जाने की पूरी व्यवस्था करते हुए उसे पांच हज़ार रुपये दिए गए। साथ ही रेलवे स्टेशन पर अधिकारियो से चोरी हुए सामान के बारे में पता लगाने को कहा। जब तक बेटे की मदद नहीं हो गयी तब तक मंत्री जी बार बार फ़ोन करके पिता-बेटे दोनों का हालचाल जानते रहे। बेटे के पास तुरंत सहायता पहुँचने के बाद ख़ुशी के मारे पिता के फ़ोन पर आंसू रुक नहीं रहे थे। वह बार बार केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुज्जर का धन्यवाद करा रहा था।

यह पूरा बकाया मंत्री जी के दफ्तर में हमारी टीम बैठ कर देख और सुन रही थी। मंत्री जी का यह काम बेहद सहारनीय है। जिन्होंने एक पिता की पीड़ा को तुरंत समझा।

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