‘मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर’ (मसरत आलम गुट)’/एमएलजेके-एमए को यूएपीए के तहत एक ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को सोशल साइट्स एक्स पर ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कियह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल है और आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करता है और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते है.
उन्होंने कहा कि कि पीएम नरेंद्र मोदी सरकार का संदेश स्पष्ट और स्पष्ट है कि हमारे राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून के पूर्ण प्रकोप का सामना करना पड़ेगा. मसरत आलम फैक्शन को देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते यूएपीए लगाकर प्रतिबंधित किया गया.
अमित शाह ने अपने ट्वीट में साफ कर दिया कि केंद्र सरकार देश की एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. यह संगठन देश विरोधी गतिविधियों में शामिल था. वह आतंकी संगठनों को समर्थन करता था. इस कारण केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने इस पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया.
जानें कौन हैं मसरत आलम? जिनकी वजह से बैन हुआ ‘मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर’
मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर संगठन मसरत आलम भट्ट द्वारा स्थापित संगठन है. मसरत आलम भट्ट सन 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल कैद है. वह कश्मीरी कट्टरपंथी समूह ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) के प्रेसिडेंट भी हैं. साल 2021 में उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया था.
मसरत आलम भट्ट की उम्र करीब 50 साल है. आतंकी फंडिंग मामले के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है था. साल 2010 में कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन हुए थे. इन प्रदर्शनों में उनकी भूमिका के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया. तब से वह कैद में हैं.
आरोप है कि यह संगठन न केवल आतंकी गतिविधियों को समर्थन करता है, बल्कि राष्ट्र विरधी और अलगाववाद गतिविधियों में भी शामिल है. पिछले दशक में जम्मू कश्मीर में हुए विरोध प्रदर्शन को इस संगठन की मदद मिली थी.