पिछले चुनाव से कितना अलग कांग्रेस का घोषणा पत्र, 2024 के लिए क्यों पुरानी स्कीम पर जोर कम?

2024 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. 5 मार्च को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मौजूदगी में पार्टी ने घोषणा पत्र जारा किया. कई वादों के इस पत्र में जिस स्कीम पर सबकी नजरें टिकीं वो महालक्ष्मी स्कीम है. स्कीम के तहत पार्टी गरीब परिवारों को सीधे एक लाख रुपये नकद देना का वादा करती है. दिलचस्प बात यह है कि घोषणापत्र उन परिवारों की संख्या के बारे में चुप है, जिन्हें वो इस योजना से लाभान्वित करना चाहता है.

साल 2019 आम चुनाव की घोषणा पत्र के मुकाबले इस पत्र को हल्का माना जा रहा है. पिछले आम चुनाव में ग्रैंड ओल्ड पार्टी न्यूनतम आय योजना या न्याय नाम से एक ऐसी ही योजना लेकर आई थी. इस योजना के उद्देश्य भारत में गरीब परिवारों को, हर महीना 6000 रुपये देने का वादा किया गया था. पार्टी ने पिछले बार ये भी बताया था कि इस योजना के लाभार्थी भारत के पांच करोड़ सबसे गरीब परिवार थे. लेकिन 2024 के घोषणा पत्र में लाभार्थियों की संख्या को लेकर कोई स्पष्ट आंकड़ों का जिक्र नहीं किया गया है.

पिछले घोषणा पत्र में क्या ?

कांग्रेस की 2019 न्याय योजना ने महिलाओं के खातों में पैसे भेजने का वादा किया था. इसके लिए पार्टी ने एक व्यापक रोडमैप भी तैयार किया था जिसमें ये जिक्र किया गया था कि इसे कैसे लागू करना चाहते हैं. यहां तक कि इसे तीन महीने के अलग-अलग चरणों के आधार पर बांटा गया था, जिसके बाद इसे शुरू करने से पहले छह से नौ महीने का परीक्षण चरण किया गया था.

कल्याण योजनाओं की कितनी लागत

2019 के घोषणा पत्र में जन कल्याण योजनाओं की कितनी लागत आएगी, इसका भी विवरण दिया गया था. कांग्रेस ने अनुमान लगाते हुए कहा था कि पहले साल में GDP का 1% और दूसरे साल में सकल घरेलू उत्पाद के 2% से भी कम, इस योजना की लागत होगी. पार्टी ने यह भी दावा किया था कि जैसे-जैसे जीडीपी बढ़ेगी और परिवार गरीबी से बाहर निकलते हैं, इसकी लागत कम होती जाएगी.

2022 में, भारत के चुनाव आयोग ने प्रस्ताव दिया था कि हर राजनीतिक दल को चुनावी वादों को पूरा करने में शामिल खर्च और इसका सरकार के वित्तीय स्वास्थ्य पर कितना असर पड़ेगा, इसकी जानकारी देनी होगी.

30 लाख सरकारी नौकरी

अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस ने वादा किया है कि केंद्र सरकार के विभागों में 30 लाख रिक्तियों को भरना है. हैरानी की बात यह है कि केंद्र सरकार के विभागों में रिक्तियों की लंबित संख्या 9.8 लाख हैं. जुलाई, 2022 में संसद में एक जवाब में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में 9.8 लाख रिक्तियां हैं.

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