भारत ने UN में यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की रखी मांग, कहा- अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए ‘गंभीर चिंता’

रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच युद्ध इस साल 24 फरवरी से अभी तक लगातार जारी है. युद्ध के इतने दिन बीत जाने के बावजूद भी रूस (Russia) के तेवर आक्रमक बने हुए हैं. रूस-यूक्रेन के बीच जारी इस युद्ध को लेकर दुनिया समेत भारत (India) ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है. भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अभी तक के अपने तीखे बयान में गुरुवार को दृढ़ता से इस लड़ाई को समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि स्थिति गंभीर चिंता का विषय है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) में बोलते कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष जिस तरह से आगे बढ़ा है वो पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि भारत सभी पक्षों को युद्ध तत्काल समाप्त करने और बातचीत व कूटनीति की मेज पर वापस लौटने का अपना आग्रह दोहराता है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने जोर देते हुए कई बार यह कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं हो सकता. भारत अपनी तरफ से यूक्रेन को मानवीय सहायता मुहिया करा रहा है. साथ ही आर्थिक संकट में अपने पड़ोसियों को भी दे रहा है.

भारत ने की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग

विदेश मंत्री ने कहा कि वह आज सुरक्षा परिषद के सामने इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि संघर्ष की स्थितियों में भी, मानवाधिकारों या अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का कोई औचित्य नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि जहां इस तरह की कोई हरकत होती है, वहां यह जरूरी है कि उसकी निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से जांच की जाए. भारत ने बुचा में हत्याओं के संबंध में अपना यही नजरिया समाने रखा था. परिषद को यह भी याद होगा कि उस समय भारत ने बुचा कांड की स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन किया था.

दुनिया पर संघर्ष का पड़ रहा प्रभाव

जयशंकर ने परिषद को बताया कि एक वैश्विक दुनिया में संघर्ष का प्रभाव दूर के क्षेत्रों में भी महसूस किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम सभी ने बढ़ती लागत और खाद्यान्न, उर्वरक और ईंधन की वास्तविक कमी के रूप में इसके परिणामों का अनुभव किया है.

एस जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की पैरवी पर जोर देते हुए कहा कि यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करना और बातचीत की टेबल पर वापस आना समय की मांग है. यह परिषद कूटनीति का सबसे शक्तिशाली प्रतीक है. इसे अपने उद्देश्य पर खरा उतरते रहना होगा. संयुक्त राष्ट्र में हम सभी जिस वैश्विक व्यवस्था की सदस्यता लेते हैं, वह अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है. बिना किसी अपवाद के इन सिद्धांतों को कायम रखा जाना चाहिए.

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