भारत हिंदू राष्ट्र है, बस इसे पहचानने की जरूरत है- मोहन भागवत

गौतम बुद्ध नगर के प्रबुद्ध वर्ग के कार्यक्रम में संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कहा कि भारत आज से नहीं बल्कि कई हजार साल पहले से हिंदू राष्ट्र है. हमें हिंदू राष्ट्र की कोई नई परिकल्पना नहीं करनी है बस इसे और सिर्फ पहचानने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भारत एक हिन्दू और सनातनी राष्ट्र है. मोहन भागवत ने कहा कि भारत मित्रता चाहता है और मिडिल ईस्ट में जो परेशानी है उसमें दो देश हैं. दोनों देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं. ऐसे में भारत सिर्फ और सिर्फ शांति कायम करने की बात करता है.गौतम बुद्ध नगर के प्रबुद्ध वर्ग के कार्यक्रम में संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कहा कि भारत आज से नहीं बल्कि कई हजार साल पहले से हिंदू राष्ट्र है. हमें हिंदू राष्ट्र की कोई नई परिकल्पना नहीं करनी है बस इसे और सिर्फ पहचानने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भारत एक हिन्दू और सनातनी राष्ट्र है. मोहन भागवत ने कहा कि भारत मित्रता चाहता है और मिडिल ईस्ट में जो परेशानी है उसमें दो देश हैं. दोनों देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं. ऐसे में भारत सिर्फ और सिर्फ शांति कायम करने की बात करता है

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में अशांति कायम है. अशांति के मूल में सिर्फ और सिर्फ स्वार्थ है. यदि दुनिया के कई सारे देश स्वार्थ को त्याग दें तो संभव है दुनिया शांति प्रिय बन जाए. मिडिल ईस्ट में कुछ परेशानी चल रही है. हम सबसे शांति की बात करते हैं क्योंकि दोनों देश हमारे मित्र हैं. कटते और पीटते नहीं रहना है. इन सब पर पूर्ण विराम देकर आगे बढ़ाना है.

मोहन भागवत ने कहा कि विश्व में ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ने की जरूरत है. विश्व में अपनी मित्रता बढ़ाने की जरूरत है. हम किसी के पक्ष में नहीं, बल्कि शांति के पक्ष में खड़े रहे.

भारत का सेकुलरिज्म हजारों वर्ष पुराना- भागवत
एक संदर्भ का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि एक बार जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति के पद पर थे तो वह उनसे मिलने गए. उन्होंने सेकुलरिज्म पर उनके साथ चर्चा की. मोहन भागवत ने कहा कि डॉक्टर प्रणब मुखर्जी ने सेकुलरिज्म के बारे में बताया कि हिंदुस्तान बेशक 1947 में आजाद हो गया हो, गणतंत्र 1950 में मिला हो, लेकिन दुनिया हमें सेकुलरिज्म नहीं सिखा सकती क्योंकि हमारा सेकुलरिज्म तो 5000 साल पुराना है.

हमारा समाज झगड़ता नहीं है- संघ प्रमुख
मोहन भागवत ने कहा कि भारतीय समाज की यदि बात करें तो अतीत काल से यहां कई तरह के लोग रहते हैं और यह लोग कभी एक-दूसरे से झगड़ते नहीं रहे. हम एक समाज हैं, एक राष्ट्र हैं. हमारे समाज में एक-दूसरे से झगड़ा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक तंत्र में कुछ परेशानियां हो सकती हैं, लेकिन हमारा जो प्रशासनिक तंत्र है वह कई जगह बढ़िया काम भी कर रहा है इसलिए तंत्र में भारत में स्व के आधार पर दोबारा रचना की आवश्यकता है.

‘क्या तकनीक हमें बेरोजगार कर देगी?’
मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम कर रही है. कई टेक्नोलॉजी ऐसी हैं जो हमारे देश में हैं और युवा उस तकनीक पर बहुत ही बढ़िया काम कर रहे हैं, लेकिन जिस तकनीक पर हमारा वश नहीं है उसे जानने और समझने की जरूरत है. उन्होंने कहा की काम को मारने की तकनीक, रोजगार को खत्म करने की तकनीक हमें नहीं चाहिए. जो तकनीक अभी फिलहाल भारत में है उसे युवा अनुकूल बनाएं और उसपर ज्यादा काम करने की जरूरत है ताकि हमारे देश का ज्यादा से ज्यादा तकनीकी विकास हो सके.

‘दकियानूसी छोड़ने से ही होगी तरक्की’
मोहन भागवत ने कहा कि जो हमारा धर्म है वह बहुत पुराना है और समाज को यह सोचना पड़ेगा कि प्राचीन धर्म को लेकर वर्तमान स्थिति में कौन-कौन सी चीजें हैं जो योग अनुकूल है. मसलन यदि कोई चीज दकियानूसी है तो उसे हमें छोड़ना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यदि समाज में दकियानूसी बातें चल रही हैं तो उसे बदलने की जरूरत है.

दुनिया आयुर्वेद को नमस्कार कर रही है- भागवत
मोहन भागवत ने कहा कि एक जमाना था जब हमारी देसी दवा को लोग जादू टोना मानते थे. कोरोना के समय दादी मां के काढ़ा ने बता दिया कि आयुर्वेद में कितनी शक्ति है. अब तो हालत यह है कि दुनिया भी आयुर्वेद को मानने लगी है और योग को अपने जीवन में उतर रही है. इतना ही नहीं, दुनिया भी अब योग दिवस मना रही है

स्व को समझना जरूरी’
उन्होंने कहा कि स्व आधारित भारत की चर्चा अब चल चुकी है. पहले तो इसकी चर्चा भी नहीं होती थी. स्व आधारित चीजों को समझने की जरूरत है. पहचान की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमने अपने बलबूते चीन से लड़ाई लड़ी, कश्मीर के पंडितों ने भी अपनी लड़ाई लड़ी है इसलिए भारत को अपने स्वाधारित विकास को समझना ही पड़ेगा..

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