किसानों के आंदोलन के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का बड़ा बयान सामने आया है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि मुझे कुर्सी की परवाह नहीं है. पंजाब में अगर राष्ट्रपति शासन भी लग जाए तो भी मैं राज्य के लोगों के साथ खड़ा हूं. मेरा यह फर्ज है कि मैं केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच एक पुल का काम करूं. मांगे मानना केंद्र सरकार का काम है.
मुख्यमंत्री मान ने आगे कहा, मैं पंजाब के लोगों का वकील बनकर केंद्र सरकार से कहा कि पंजाब के लोगों की यह मांग पूरी करो ताकि ट्रैक्टर के मुंह खेतों की तरफ मुड़ जाएं. किसान दिल्ली जाना चाहते थे, लेकिन उनको दिल्ली जाने से रोक लिया गया. सरकार और किसानों के बीच में चार बार बैठक भी हुई. मैं खुद रात 1.30 बजे तक बैठक में शामिल रहा. आंदोलन की शुरुआत 13 फरवरी से होनी थी. अब तक चार बैठकें हो चुकी हैं.
मान ने कहा, देश को आजाद कराने में 90 फीसदी कुर्बानी पंजाबियों ने दी है तो क्या हम लोग अपनी राजधानी में भी नहीं जा सकते हैं. हरियाणा के साथ तो हमारा कोई झगड़ा ही नहीं है तो फिर उन्होंने किसानों को क्यों रोका? किसानों को शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के लिए रामलीला मैदान या फिर कोई और जगह दे दी जाती. उनकी मांगों पर विचार होता रहता और वो लोग प्रदर्शन करते रहते. 22 फरवरी 2021 से लेकर आज तक कुछ नहीं हुआ. ऐसे में तीन साल तक सरकार क्या करती है?
दरअसल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब कुछ घंटे पहले ही आंदोलन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक आंतरिक रिपोर्ट सामने आई. गृह मंत्रालय ने पंजाब की बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चिंता जताई. रिपोर्ट में बताया गया कि पंजाब सरकार की ओर से शंभू बॉर्डर पर लगभग 14000 लोगों को इकट्ठा होने की छूट दी गई. यहां, 1200 टैक्टर-ट्रालियों, 300 कारों, 10 मिनी बसों और अन्य छोटे वाहनों को जुटाने की अनुमति दी गई.
500 टैक्टर ट्रालियों को ले जाने छूट दी गई
वहीं, ढाबी गुजरान बैरियर पर लगभग 500 ट्रैक्टर ट्रालियों को ले जाने की छूट दी गई. यहां पंजाब सरकार की ओर से करीब 4500 लोगों को विशाल जनसभा की अनुमति भी दी गई. गृह मंत्रालय पंजाब और हरियाणा सरकार को एक एडवाइजरी भी जारी की. एडवाइजरी में गृह मंत्रालय ने दोनों ही राज्य सरकारों से हर परिस्थिति में कानून व्यवस्था बनाए रखने को कहा. इसके साथ यह भी कहा कि केंद्र सरकार कानून व्यवस्था कायम करने की स्थिति में हर तरीके के सहयोग देने के लिए तैयार है.
दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर दिखा असर
शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने के किसानों के ऐलान का असर एनसीआर की सड़कों पर भी नजर आया. पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर कई रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी थी, जिससे ट्रैफिक की रफ्तार सुस्त हो गई और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. परीक्षा देने वाले छात्रों से लेकर ऑफिस जाने वाले लोगों और कारोबारियों को किसान आंदोलन से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ये सब तब हुआ जब कल ही पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किसान आंदोलन पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी कि थी की किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन आम लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए.
प्रदर्शनकारी किसानों को दो दिनों के लिए सीजफायर
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसानों ने अगले दो दिनों यानी गुरुवार और शुक्रवार तक के लिए आंदोलन को स्थगित कर दिया है. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने शाम को किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि हम अगले दो दिन शांत रहेंगे उसके बाद दिल्ली कूच को लेकर फैसला करेंगे. पंढेर के इस ऐलान के बाद अब किसान दो दिनों शंभू और खनौरी बॉर्डर पर ही शांत बैठे रहेंगे.