एक देश-एक चुनाव: समिति की पहली बैठक में क्या फैसला लिया गया?

एक देश-एक चुनाव को लेकर गठित समिति के सदस्यों के साथ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पहली बैठक की. इस बैठक में समिति ने देश में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने पर सुझाव देने के लिए राजनीतिक दलों और विधि आयोग को आमंत्रित किया है. बड़ी बात यह है कि इस बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं हुए. समिति गठित होने के बाद अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्री शाह को लिखे एक पत्र में समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था.

किन-किन से सुझाव लेने का किया गया फैसला?

मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों
राज्यों में सत्तारूढ़ दलों
संसद में अपना प्रतिनिधित्व रखने वाले दलों
अन्य मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल
और विधि आयोग

कौन-कौन हुए शामिल?

इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्य सभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप और पूर्व सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी मौजूद रहे. वहीं वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे इस बैठक में वर्चुएली शामिल हुए.

जल्द से जल्द सरकार से सिफारिश करेगी समिति

बता दें कि एक देश एक चुनाव पर केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचा में समिति की ओर से सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने की समय सीमा तय नहीं की गई है. हालांकि समिति ने गठन होने के तुरंत बाद अपना कामकाज शुरू कर दिया. बताया जा रहा है कि राजनीतिक दलों और विधि आयोग से सुझाव लेने के बाद समिति जल्द से जल्द सरकार से सिफारिश करेगी. समिति जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य के लिए बाकी कानूनों और नियमों में संशोधन की जरूरत पर सिफारिश करेगी.

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एक साथ चुनाव से बचेगा पैसा- पीएम मोदी

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक देश एक चुनाव की वकालत करते रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा है कि अगर देश में एक साथ चुनाव होते हैं तो जनता के पैसों की बर्बादी को रोका जा सकेगा और इससे संसाधनों की भी बचत होगी.

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