बुजुर्ग को गूगल पर मिला ‘खूबसूरत हसीना’ का नंबर, लगाया फोन और हो गया बड़ा कांड

जबसे सोशल मीडिया का चलन बढ़ा है तबसे शायद ही ऐसी कोई चीज बची हो जो सोशल मीडिया से ना की जा सकती हो. अब तो लोगों का अकेलापन भी सोशल मीडिया दूर करने का दावा करता है. सरकारी नौकरी से रिटार्यमेंट के बाद एक बुजुर्ग ने भी यही सोचा था कि उनका अकेलापन सोशल मीडिया दूर कर देगा, लेकिन उनके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उनका विश्वास ऑनलाइन दुनिया से पूरी तरह से हिला दिया.

हैदराबाद में रहने वाले एक बुजुर्ग ने ऑनलाइन एस्कॉर्ट सर्विस में बड़ा धोका खाया. शख्स केंद्र सरकार की नौकरी से हाल ही में रिटायर हुए थे. रिटायमेंट के बाद उन्होंने अपना अकेलापन दूर करने के लिए ऑनलाइन एस्कॉर्ट सर्विस का सहारा लिया. गूगल पर उन्होंने एस्कॉर्ट सर्विस सर्च किया जहां उन्हें एक एस्कॉर्ट सर्विस एजेंसी की जानकारी मिली. एजेंसी के चक्कर में फंसकर शख्स को 5 लाख रुपए की चपत लग गई.

एस्कॉर्ट सर्विस एजेंसी के चक्कर में फंसा बुजुर्ग

मामले में पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि पीड़ित शख्स ने जुलाई के पहले हफ्ते में एस्कॉर्ट सर्विस के लिए गूगल पर सर्च किया था. तभी गूगल सर्च के दौरान उन्हें Deepusassy Service नाम की एक एजेंसी मिली. इस एजेंसी ने उनके व्हाट्सएप पर एस्कॉर्ट सर्विस के लिए लड़कियों की फोटो और लिस्ट दी थी. उन्होंने जब व्हाट्सएप पर एजेंसी से बात की तो एजेंसी ने उन्हें 1500 रुपये की शुरुआती फीस जमा करने को कहा. उन्होंने राकेश अहारी के नाम वाले अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए और फिर इंतजार करने लगे.

फोन पर टहलाती रही एजेंसी
इसके बाद वह एस्कॉर्ट सर्विस फाइनल करने के लिए एजेंसी के लगातार संपर्क में थे. हर दिन उसका इंतजार करते, लेकिन कुछ नहीं हो पाता, ऐसा करते-करते जुलाई का आखिरी हफ्ता आ गया. एजेंसी ने सिक्योरिटी डिपॉजिट के तौर पर किशन लाल गमेती के नाम वाले अकाउंट में एडवांस के तौर पर कुछ पैसे ट्रांसफर करने को कहा. सर्विस देने के नाम पर रिटायर्ड शख्स से एस्कॉर्ट एजेंसी ने सात किश्तों में पैसे जमा कराए. एजेंसी ने शख्स को भरोसा दिलाया कि जब सर्विस पूरी हो जाएगी तो उनके सारे पैसे वापस कर दिए जाएंगे. हालांकि, इसके बाद भी एजेंसी ने उनसे काफी बार बहाने से पैसे मांगे और सर्विस मिलने के नाम पर शख्स पैसे देते चले गए. एजेंसी ने उनसे सर्विस चार्ज के तौर पर पांच किश्तों में और पैसे जमा करवाए. कहा गया कि ये भी रिफंडेबल फीस थी.

पीड़ित ने पुलिस से की शिकायत

एजेंसी पर भरोसा करके उन्होंने फिर से पैसे ट्रांसफर कर दिए. एजेंसी उस शख्स की कमजोरी को समझ गई थी. एजेंसी उनसे लगातार पैसे ऐंठती रही. कुछ दिनों बाद फिर से शख्स को पैसे जमा करने को कहा गया और फिर से रिफंड का आश्वासन दिया गया. हालांकि, इसके बाद शख्स ने पैसे देने से मना कर दिया और गुस्साकर कहा कि उन्हें सर्विस नहीं चाहिए, इसके बाद उन्होंने एजेंसी से अपने पैसे वापस मांगे लेकिन एजेंसी ने उन्हें पैसे नहीं दिए और व्हाट्सएप पर ब्लॉक कर दिया. इसके बाद शख्स ने तुरंत मामले की शिकायत साइबर क्राइम विंग में दर्ज कराई. शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच की जा रही है.

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