सियासत या विरोध… वक्फ के खिलाफ ममता के बंगाल में ही हिंसा क्यों? जानें वजह

केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक को कानूनी जामा पहना दिया है. वक्फ को लेकर विपक्षी पार्टियां पूरे देश में विरोध कर रही हैं. मुस्लिम संगठन प्रदर्शन भी कर रहे हैं, लेकिन वक्फ के खिलाफ देश में केवल पश्चिम बंगाल में हिंसा हो रही है. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर और सुती में वक्फ के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. पुलिस पर हमले किये गये. सरकारी गाड़ियों में आग लगी दी गई है. रेल यातायात ठप्प कर दिया गया. इससे कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है तो ट्रेन रोके जाने के कारण यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. शमशेरगंज में प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए बीएसएफ को उतारना पड़ा है.

मुर्शिदाबाद में हिंसा को लेकर बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस को हस्तक्षेप करना पड़ा है. मुर्शिदाबाद और मालदा में तनाव के बीच राज्यपाल ने सख्त निर्देश जारी किए है. राज्यपाल ने राज्य सरकार को मुर्शिदाबाद और उत्तर 24 परगना के अमताला, सुती, धुलियान और अन्य संवेदनशील स्थानों में अशांति के लिए जिम्मेदार उपद्रवियों के खिलाफ तत्काल और प्रभावी कार्रवाई करने के सख्त निर्देश जारी किए हैं. अशांति की आशंका को देखते हुए राज्यपाल ने स्थिति के संबंध में मुख्यमंत्री के साथ चर्चा की. मुख्य सचिव को पुलिस बलों को व्यवस्था बहाल करने और बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं.

मुस्लिम वोटबैंक पर ममता की नजर, वक्फ का विरोध
राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के निकट होने के कारण राज्यपाल ने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी बात की है, लेकिन यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बंगाल में ही वक्फ को लेकर हिंसा क्यों हो रही है?

कोलकाता में वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन करते हुए छात्र

बता दें कि वक्फ कानून लागू होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ा विरोध किया और ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि बंगाल में वक्फ कानून को लागू होने नहीं देंगे. उन्होंने मुस्लिमों को संदेश दिया कि जब तक वह हैं, तब-तक मुसलमानों की संपत्ति को कोई नहीं छीन सकता है. पश्चिम बंगाल में करीब 32 फीसदी मुस्लिम आबादी है और मुस्लिमों को तृणमूल कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता है. ऐसे में अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव है और ममता बनर्जी पूरी तरह से मुस्लिमों के पक्ष में खड़ी दिख रही हैं और पूरी तरह से धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है.

शिक्षकों की नौकरी रद्द, लोगों का ध्यान बंटाने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय कहते हैं कि देश में जितने भी मुस्लिम बहुल राज्य हैं, उनमें पश्चिम बंगाल को छोड़कर अन्य राज्यों जैसे त्रिपुरा और असम में भाजपा की सरकार है. भाजपा ने वक्फ को लेकर उस तरह से प्रचार नहीं किया, जैसा करना चाहिए थे. ऐसी स्थिति में तृणमूल कांग्रेस इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है. शिक्षक भर्ती घोटाले में करीब 26000 शिक्षकों की नौकरी सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी है. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस की कोशिश है कि शिक्षक भर्ती घोटाले से राज्य के लोगों का ध्यान हटाया जाए और वक्फ को लेकर सियासत गर्म किया जाए और इसका असर राज्य की सियासत पर दिख रहा है. राज्य में यह प्रचार किया जा रहा है कि वक्फ कानून आने पर मुसलमानों के धर्म स्थान यहां तक कि कब्र स्थान भी दखल कर लिया जाएगा. सोशल मीडिया पर इसे लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है.

सीएए के बाद अब वक्फ के खिलाफ हिंसा की वजह
उन्होंने कहा कि राज्य के मुस्लिमों में असंतोष है और असंतोष के शिकार पुलिसकर्मी हो रहे हैं और पुलिस पर हमले किए जा रहे हैं. ऐसे में वर्मतान में सीएम ममता बनर्जी खुद को मुस्लिमों का मसीहा दिखाने की कोशिश कर रही हैं. राज्य में यह संदेश दिया जा रहा है कि मुस्लिम खतरे में है.

वक्फ कानून के खिलाफ सुती में हिंसा.

बता दें कि इसके पहले जब सीएए लागू करने का ऐलान हुआ था. बंगाल के मुर्शिदाबाद और नदिया में सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी. रेल गाड़ियों को रोका गया था. सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन 2020 में हुए थे और 2021 में बंगाल में विधानसभा चुनाव था. यह समय भी समझना होगा कि अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव है.

अगले साल विधानसभा चुनाव, ध्रुवीकरण की कोशिश
ममता बनर्जी वक्फ को एक मुद्दा बनाना चाहती हैं और तृणमूल कांग्रेस लोगों में संदेश देना चाहती है कि केवल दीदी ही उनकी रक्षा कर सकती हैं. इस कारण ममता बनर्जी चाहे शिक्षकों की रैली हो या फिर जैनियों के कार्यक्रम सभी जगह मुस्लिम और वक्फ को लेकर बात कर रही हैं. बांग्ला नववर्ष के अवसर पर 16 अप्रैल को कोलकाता में इमामों की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में भी ममता बनर्जी यही संदेश देगी. वहीं, भाजपा ने इसे लेकर ममता बनर्जी पर हमला बोलना शुरू कर दिया है और 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है. भाजपा नेता और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने इसे लेकर ममता बनर्जी पर निशाना साध रहे हैं. उन्होंने लिखा कि पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन के नाम पर कट्टरपंथियों के एक निश्चित समूह द्वारा बड़े पैमाने पर हिंसा, अराजकता और अराजकता देखी जा रही है. ये लोग, जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे भारत के संविधान के खिलाफ हैं और देश के कानून का विरोध करेंगे, सड़कों पर उतर आए हैं.

हिंसा प्रभावित इलाकों में अनुच्छेद 355 लागू करने की मांग
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को मनमाने ढंग से नुकसान पहुंचाया जा रहा है. सार्वजनिक सुरक्षा से समझौता हो गया है क्योंकि आम लोग इन क्रूर कट्टरपंथियों की भीड़ की दया पर हैं. प्रशासन ने मुर्शिदाबाद जिले में उत्पात को नियंत्रित करने के लिए अनिच्छा से बीएसएफ कर्मियों की तैनाती की मांग की है. उन्हें अन्यत्र केन्द्रीय बलों की तैनाती की मांग करने से कौन रोक रहा है? उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से स्थिति को नियंत्रित करने में सहायता की मांग की, जो नियंत्रण से बाहर होती जा रही है. उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद, दक्षिण और उत्तर 24 परगना, हुगली, मालदा, बीरभूम जिलों के कई पुलिस स्टेशनों के अंतर्गत बड़े हिस्से में अनुच्छेद 355 लागू करना आवश्यक हो गया है.

असम में हिंसा नहीं, सीएम हिमंत ने कही ये बात
वहीं असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल साइट एक्स पर कहा कि लगभग 40% मुस्लिम आबादी होने के बावजूद, असम में आज शांतिपूर्ण स्थिति बनी हुई है., सिवाय तीन स्थानों पर छिटपुट विरोध प्रदर्शनों के, जिनमें प्रत्येक में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ 150 से अधिक प्रतिभागी शामिल नहीं हुए

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