SBI रिसर्च का अनुमान- देश में अगस्त में आएगी कोरोना की तीसरी लहर, सितंबर में होगा पीक

नई दिल्ली: कोरोना महमारी से जूझ रहे देशवासियों के सामने एक डराने वाली खबर सामने आयी है. एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत के परिवार कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं. कोरोना महामारी का लोगों की आय और आर्थिक स्थिति पर बहुत बड़ा असर पड़ा है, इससे परिवार के स्तर पर कर्ज बढ़ा रहा है.

SBI रिसर्च की यह रिपोर्ट कहती है कि फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में परिवार पर कर्ज जीडीपी का 37.3 प्रतिशत पहुंच गया है. जो कि पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में 32.5 फीसदी था

इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि महामारी की दूसरी लहर की वजह से कर्ज का ये अनुपात चालू वित्त वर्ष में और बढ़ सकता है. वैसे परिवारिक कर्ज का स्तर जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से बढ़ रहा है. इससे पहले नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू की गयी थी

रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 से चार साल में परिवारों पर कर्ज के स्तर में 7.20 फीसदी की उछाल आई है. वित्त वर्ष 2017-18 में ये 30.1 प्रतिशत था, जो 2018-19 में बढ़कर 31.7 प्रतिशत , 2019-20 में 32.5 प्रतिशत और 2020-21 में उछलकर 37.3 प्रतिशत हो गया

हालांकि भारत में जीडीपी के अनुपात में परिवार का कर्ज अन्य देशों के मुकाबले कम है . ब्रिटेन में 90 ,अमेरिका में 79.5, जापान में 65.3, चीन में 61.7 फीसदी है. जबकि मेक्सिको में सबसे कम 17.4 फीसद है परिवार पर बढ़ते कर्ज का मतलब है कि उनकी बचत दर, खपत और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ने की वजह से कम हुई है

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