आज़ादी के बाद से किसी भी नेता ने इलाके में इतना काम नहीं कराया है जितना उन्होंने कराया है: राजा मानसिंह

अयोध्या/अदिति त्रिपाठी : कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बादल छटते ही उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जिसे लेकर सभी नेता अपने अपने प्रचार में जुट गए है, इलाके में हुए विकास कार्यो से लेकर सरकार की नाकामी का पूरा चिट्ठा जनता के सामने रखा जा रहा है। इसी कड़ी में अयोध्या के मसौदा चतुर्थ से राजा मानसिंह भी चुनावी मैदान में है, उनका कहना है कि उनका राजनीति में आने का केवल एक ही मकसद है जो भी गरीब-दुखिया या पीड़ित हो उसकी ज्यादा से ज्यादा मदद करुँ, किसी जाति विशेष को लेकर वह राजनीति नहीं करना चाहते है। इतना ही नहीं राजा मानसिंह का कहना है कि वह समाजवादी पार्टी की विचारधारा के लोग है और अखिलेश यादव के पद चिन्हों पर चलते हुए विकास कार्य करना चाहते है। मसौदा चुतर्थ अयोध्या की सभी बड़ी ग्रामसभा है और आज़ादी के बाद से अब तक किसी भी नेता ने इलाके में इतना काम नहीं कराया है जितना उन्होंने कराया है।

साथ ही मानसिंह ने अपने विरोधियो को चुनौती देते हुए कहा है कि कोई भी मेरे इलाके में घर-घर जाकर जनता के बीच मेरे द्वारा किए गए कार्यो के बारे में पूछ सकता है। दूसरी पार्टी का विकास केवल कागज़ो में ही सिमट कर रह जाता है। लेकिन मेरे इलाके में कितना काम हुआ है मसौदा चुतर्थ की गली-गली में दिखेगा। जनता विकास कार्यो से काफी खुश है।

लेकिन माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में इस साल होने वाले पंचायत चुनाव कोरोना के चलते टाले जा सकते है। यह चुनाव आगामी 2021 के फरवरी या मार्च में होने की उम्मीद जताई जा रही है। आपको बता दे कि राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के बारे में मंगलवार को विस्तृत कार्यक्रम जारी किया. अक्टूबर से बूथ लेबल आफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर वोटर लिस्ट की जांच करेंगे और 29 दिसंबर को वोटर लिस्ट का प्रकाशन होगा. ऐसे में यह बात साफ हो गई है कि इस साल तो सूबे में पंचायत चुनाव किसी भी सूरत में नहीं हो सकेंगे.

दरअसल उत्तर प्रदेश की 59,163 ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल आगामी 25 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. इसी क्रम में अगले साल 13 जनवरी को जिला पंचायत अध्यक्ष और 17 मार्च को क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है. सूबे में फिलहाल वोटर लिस्ट पुनरीक्षण के कार्यक्रम का ऐलान मंगलवार को किया गया है, जो करीब साढ़े तीन महीने तक चलेगा. ऐसे में इस साल पंचायत का चुनाव करवा पाना प्रशासन के लिए काफी मुश्किल है, क्योंकि पंचायत के चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को कम से कम छह माह का समय चाहिए.

माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस बार जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी, प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव एक साथ कराएगी. आयोग से जिलों को जो तैयारी कराने के निर्देश दिलवाए गए हैं, वह चारों पदों पर एक साथ चुनाव कराए जाने के क्रम में हैं. इससे साफ जाहिर है कि यूपी में जब भी चुनाव होंगे सभी पदों पर एक साथ होंगे. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के जारी कार्यक्रम से साफ है कि अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अगले साल ही हो सकते हैं. 29 दिसंबर को मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन होने से पंचायत चुनाव अगले वर्ष फरवरी या मार्च में होने की उम्मीद जताई जा रही है.

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