मकान मालिक और किराएदार के बीच एग्रीमेंट की जानकारी सरकार को देनी होगी, जानिए क्या है मॉडल टेनेंसी एक्ट

नई दिल्ली: मकान मालिक और किराएदार के नजरिए से बुधवार को एक अहम फैसला लिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मॉडल टेनेंसी एक्ट के प्रारूप को मंजूरी दे दी गई है. इसमें मकान मालिकों और किराएदारों के हितों को देखते हुए कई प्रावधान किए गए हैं. हालांकि इस मॉडल एक्ट को लागू करने या नहीं करने का फैसला राज्य सरकार पर छोड़ा गया है.

ये मॉडल एक्ट किसी राज्य में उसी दिन से प्रभावी होगा जिस दिन से राज्य सरकार उसे विधानसभा से पारित करवाकर लागू करेगी. इसका मतलब नए कानून का असर पहले से रह रहे किराएदारों और मकान मालिकों पर नहीं पड़ेगा.

नए कानून में क्या प्रावधान है
मॉडल एक्ट में ये प्रावधान किया गया है कि मकान मालिक और किराएदार के बीच लिखित समझौता अनिवार्य होगा. इसके बिना कोई भी मकान मालिक अपना घर किराएदार को नहीं दे सकेगा. इतना ही नहीं, इस लिखित समझौते के कागजात को जिला रेंट ऑथोरिटी के पास जमा भी करवाना होगा. एक्ट के तहत हर जिले में एक रेंट अथॉरिटी (Rent Authority) बनाए जाने का प्रावधान किया गया है. हालांकि समझौते के मसौदों और शर्तों को तय करने का अधिकार मकान मालिकों और किराएदरों पर ही छोड़ा गया है जिसमें मकान भाड़ा भी शामिल है. रेंट अथॉरिटी के पास दस्तावेज जमा करवाने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी की जाएगी.

रिहायशी इलाके की प्रॉपर्टी के मामले में मकान मालिक किसी किराएदार से अधिकतम दो महीने का सिक्युरिटी जमा करवा सकता है जबकि कमर्शियल प्रोपर्टी के मामले में छह महीने तक की डिपॉजिट का प्रावधान किया गया है. अगर मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहे और इसकी जानकारी लिखित समझौते में नहीं दी गई है तो उसे किराएदार को कम से कम 3 महीने पहले इसकी जानकारी देनी होगी.

शिकायत निवारण अथॉरिटी के गठन का प्रस्ताव
इस मॉडल एक्ट में एक शिकायत निवारण अथॉरिटी बनाए जाने का प्रावधान किया गया है. कई मामलों में देखा गया है कि किराएदार मकान छोड़ना नहीं चाहते जिससे मकान मालिक और उसके बीच तनाव की स्थिति आ जाती है. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए शिकायत निवारण अथॉरिटी के गठन का प्रस्ताव किया गया है. अथॉरिटी के लिए किसी भी शिकायत का निपटारा 60 दिनों के अंदर करना अनिवार्य बनाया गया है.

एक्ट में इस बात का प्रावधान किया गया है कि अगर कोई किराएदार समझौते की अवधि समाप्त होने के बाद भी मकान खाली नहीं करता है तो उसे अवधि खत्म होने के बाद दो महीने तक मासिक किराया का दोगुना मकान मालिक को हर्जाना के तौर पर देना होगा. जबकि उसके बाद मकान भाड़े का चार गुना.

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