प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की सुरक्षा को और मजबूत बनाने की बात कही है. जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा आज हमारे समाज की गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं लेकिन हमें इसे और सक्रिय करने की जरूरत है. पीएम मोदी ने कहा कि महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे, आधी आबादी की सुरक्षा उतनी ही मजबूत होगी और महिलाओं को उतना ही भरोसा होगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न्याय में देरी को खत्म करने के लिए बीते एक दशक में कई स्तर पर काम हुए हैं. पिछले दस सालों में देश ने न्यायिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए करीब 8 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं. पिछले 25 साल में जितनी राशि इस मद में खर्च की गई है, उसका 75 फीसदी पिछले दस सालों में ही हुआ है. भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला है.
नए आपराधिक कानून में महिलाओं, बच्चों पर फोकस
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान एक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया. उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों का फोकस नागरिक पहले और न्याय पहले है. उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानून का फोकस महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और अधिकार को मजबूत करने पर भी है. उन्होंने कहा कि मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी संस्था पर हमारे भरोसे और विश्वास को हमेशा बरकरार रखा है. आपातकाल के दौर में भी, सुप्रीम कोर्ट ने हमारे मौलिक अधिकारों को सुरक्षित रखा और गारंटी दी. जब भी राष्ट्रीय हित का सवाल बना, कोर्ट ने हमेशा राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा की.
सुप्रीम कोर्ट के गौरवपूर्ण 75 साल महज यात्रा नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष- एक संस्था की महज यात्रा भर नहीं है. यह भारत के संविधान और संवैधानिक मूल्यों की यात्रा है. यह यात्रा एक लोकतंत्र के रूप में भारत के और परिपक्व होने की है. उन्होंने कहा कि भारतीयों ने हमारे सुप्रीम कोर्ट पर, हमारी न्यायपालिका पर हमेशा विश्वास किया है. भरोसा किया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के ये 75 साल मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत के गौरव को और बढ़ाते हैं.