ये समाज को हमेशा बांटकर रखने की सोची-समझी रणनीति है… वक्फ बिल पर सोनिया गांधी ने बीजेपी को घेरा

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वक्फ संशोधन विधेयक-2024को संविधान पर खुला हमला करार दिया है. उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन समाज को हमेशा बांटकर रखने की भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. कांग्रेस संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पर भी कड़ी आपत्ति जताई और इसे संविधान का एक और उल्लंघन बताया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार लगातार संविधान पर हमले कर रही है. चाहे वो शिक्षा हो, नागरिक अधिकार और स्वतंत्रता हो, हमारा संघीय ढांचा हो या चुनाव का संचालन…मोदी सरकार देश को रसातल में धकेल रही है. ये सरकार संविधान को केवल कागजों पर समेटने में लगी है. सोनिया गांधी ने कहा, यूपीए सरकार के समय बनाए गए चार प्रमुख कानून- सूचना का अधिकार, मनरेगा, वन अधिकार कानून और भूमि अधिग्रहण कानून को वर्तमान सरकार कमजोर कर रही है. 2013 में लागू राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून से 80 करोड़ लोगों को लाभ मिल रहा है. मगर, मोदी सरकार द्वारा जनगणना न कराने की वजह से 14 करोड़ लोग अपने कानूनी अधिकार से वंचित रह गए हैं.

जानबूझकर नजरअंदाज की जा रही मांग
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष ने कहा, दो साल पहले दोनों सदनों से पारित महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू करने और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं ओबीसी समुदायों की महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की कांग्रेस लगातार मांग कर रही है. इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है. दुख इस बात का है कि सत्तारूढ़ दल सदन में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस करने के लिए सहमत नहीं है.

विदेश मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा नहीं की
उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहती थी कि रक्षा और विदेश मंत्रालयों के कामकाज पर लोकसभा में विस्तार से चर्चा हो. हमारे पड़ोस में बढ़ते हुए अशांत राजनीतिक माहौल को देखते हुए ये दोनों विषय बहुत अहम हैं लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई.उन्होंने सीमा पर चीन द्वारा पैदा की गई गंभीर चुनौतियों पर चर्चा से भाजपा के इनकार का भी हवाला दिया.

सोनिया गांधी का पार्टी सांसदों को मंत्र
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बार-बार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का मुद्दा उठाया है और संसद द्वारा चुनाव आयोग के कामकाज, उसके अपारदर्शी नियमों व प्रक्रियाओं पर बहस करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. मगर, इस विषय पर छोटी अवधि की चर्चा की भी अनुमति नहीं दी गई. उन्होंनेलोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को बोलने की अनुमति नहीं देने को देश के लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय बताया. पार्टी के सांसदों से कहा कि वो भाजपा शासित राज्यों में विफलताओं और कुशासन को आक्रामक तरीके से उठाएं.

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