असली शिवसेना पर सुप्रीम कोर्ट में आज क्या कुछ हुआ? दोनों पक्षों की दलीलों पर कल भी होगी सुनवाई

महाराष्ट्र (Maharashtra) के उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) बनाम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) विवाद में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बहस अब असली पार्टी के मुद्दे की तरफ मुड़ती नजर आ रही है. आज दोनों पक्षों ने मामले में काफी गर्मागर्म बहस की. उद्धव कैंप ने कहा कि गलत तरीके से पार्टी छोड़ने वाले विधायक अब खुद ही मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते. इसके विरोध में शिंदे कैंप ने कहा कि किसी ने भी पार्टी नहीं छोड़ी है. पार्टी के पुराने नेतृत्व पर अब बहुमत को भरोसा नहीं है. कोई एक नेता ही पूरी पार्टी नहीं होता. नेता के विरोध को पार्टी छोड़ना कह देना लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है.

चुनाव आयोग की कार्रवाई रोकने की मांग
सुप्रीम कोर्ट में पूरे मामले पर दोनों गुटों की कई याचिकाएं लंबित हैं. इन याचिकाओं में विधायकों की अयोग्यता, राज्यपाल की तरफ से शिंदे गुट को आमंत्रण देने, विश्वास मत में शिवसेना के 2 व्हिप जारी होने जैसे कई मसलों को उठाया गया है.

अब उद्धव ठाकरे गुट ने नई याचिका दाखिल कर यह मांग भी की है कि सुप्रीम कोर्ट शिवसेना के चुनाव चिह्न को आवंटित करने के लिए चुनाव आयोग में चल रही प्रक्रिया पर रोक लगाए. उद्धव कैंप की एक और याचिका में शिंदे पक्ष के सांसद राहुल शेवाले को लोकसभा में पार्टी के नेता के रूप में मान्यता दिए जाने का विरोध किया गया है.

संविधान पीठ के गठन का संकेत
फिलहाल चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. 20 जुलाई को हुई सुनवाई में कोर्ट ने यह संकेत दिया था कि मामले की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया जा सकता है. उस दिन कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा था कि वह सुनवाई के बिंदुओं का संकलन जमा करवाएं. आज भी कोर्ट ने कहा कि शिंदे कैंप के वकील हरीश साल्वे अपने मुद्दों को संक्षेप में लिख कर कोर्ट को दें. गुरुवार की सुबह थोड़ी देर तक मामले पर विचार किया जाएगा.

उद्धव गुट की दलील
एकनाथ शिंदे के हाथों सत्ता गंवा चुके उद्धव ठाकरे के गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, “पार्टी सिर्फ विधायकों का समूह नहीं होती है. इन लोगों को पार्टी की बैठक में बुलाया गया. वह नहीं आए. असल में इन लोगों ने पार्टी छोड़ी है. वह चुनाव आयोग जाकर पार्टी पर दावा कैसे कर सकते हैं? आज भी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हैं.” उद्धव कैंप के दूसरे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “इन लोगों को किसी पार्टी में विलय करना चाहिए था, पर ऐसा नहीं किया. वह जानते हैं कि वह असली पार्टी नहीं हैं. लेकिन पार्टी के चुनाव चिह्न पर कब्जे की कोशिश कर रहे हैं.”

शिंदे कैंप ने किया असली शिवसेना होने का दावा
शिंदे गुट के लिए पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, “जिस नेता को बहुमत का समर्थन न हो, वह कैसे बना रह सकता है? जब पार्टी में अंदरूनी बंटवारा हो चुका हो तो दूसरे गुट की बैठक में न जाना अयोग्यता कैसे हो गया? हमारे यहां एक भ्रम है कि किसी नेता को ही पूरी पार्टी मान लिया जाता है. हम अभी भी पार्टी में हैं. हमने पार्टी नहीं छोड़ी है. हमने नेता के खिलाफ आवाज उठाई है. अब पार्टी में दो खेमे हैं. 1969 में कांग्रेस में भी ऐसा नहीं हुआ था? कई बार ऐसा हो चुका है. ऐसे मामलों में चुनाव आयोग तय करता है कि पार्टी का चुनाव चिह्न किसे मिलेगा.” शिंदे कैंप के लिए पेश वरिष्ठ वकीलों नीरज किशन कौल और महेश जेठमलानी ने यह भी कहा कि अब नए स्पीकर का चुनाव हो चुका है. विधायकों की अयोग्यता का मसला उन्हें देखना चाहिए.

चीफ जस्टिस ने जताई नाराज़गी
इस पर चीफ जस्टिस ने हल्की नाराज़गी जताते हुए कहा कि सबसे पहले शिंदे कैंप सुप्रीम कोर्ट आया था. उसने डिप्टी स्पीकर की तरफ से की जा रही अयोग्यता की कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया. हम आमतौर पर याचिकाकर्ता को मामला हाई कोर्ट में रखने के लिए कहते हैं. पर अनुरोध करने पर 10 दिन के लिए डिप्टी स्पीकर की कार्रवाई स्थगित कर दी. इस बीच वहां नई सरकार बन गई. नया स्पीकर चुन लिया गया. अब कहा जा रहा है कि सभी पुरानी बातें निरर्थक हो गई हैं. 

हरीश साल्वे ने बात संभालते हुए कहा कि उनकी तरफ से यह नहीं कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई न करे. बस दूसरे पक्ष की दलीलों का जवाब दिया जा रहा है. दूसरा पक्ष मानता है कि 16 विधायक अयोग्य हैं. लेकिन सच यही है कि किसी ने उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया है. करीब डेढ़ घंटा चली सुनवाई के अंत में कोर्ट ने हरीश साल्वे से अपने मुख्य बिंदुओं को फिर से ड्राफ्ट कर जमा करवाने को कहा. चीफ जस्टिस ने कहा कि कल सुबह सबसे पहले इसी मामले को 15-20 मिनट के लिए सुना जाएगा. 

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