क्या शादीशुदा जीवन में जबरन शारीरिक संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में आएगा? दिल्ली हाईकोर्ट आज सुनाएगा फैसला

Marital Rape: दिल्ली हाईकोर्ट आज वैवाहिक बलात्कार यानि की  Marital Rape को अपराध के दायरे में लाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना अहम फैसला सुनाएगा. दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला आज दोपहर 2:15 बजे आएगा. हाईकोर्ट ने इस मामले में फरवरी महीने में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. मैरिटल रेप यानी शादीशुदा जीवन में जबरन शारीरिक संबंध बनाने को अब तक कानून में अपराध नहीं माना जाता है.

दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि शादीशुदा जीवन में अगर किसी महिला के साथ उसका पति जबरन या उसकी मर्जी के खिलाफ संबंध बनाता है तो उसको मैरिटल रेप के दायरे में लाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने इस मामले में अलग-अलग देशों का उदाहरण दिया और साथ ही महिला की अस्मिता और उसके सम्मान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर बिना शादीशुदा महिला के साथ उसकी बिना मर्जी के संबंध स्थापित करना अपराध की श्रेणी में आता है तो आखिर शादीशुदा महिला को वो अधिकार क्यों नहीं मिल सकता?

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने से पहले इसके सामाजिक प्रभाव, पारिवारिक संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव समेत जमीनी वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए ही किसी तरह का आदेश देने की बात कही थी. केंद्र सरकार ने दलील देते हुए कहा था कि भारत सरकार हर उस महिला की स्वतंत्रता, गरिमा और अधिकारों की पूरी और सार्थक रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है जो एक सभ्य समाज का मौलिक आधार और स्तंभ है. इसलिए इस मामले को सख्त कानूनी दृष्टिकोण के बजाय एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है.

हालांकि केंद्र सरकार ने 2017 के हलफनामे में वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण की मांग वाली याचिका का विरोध किया था. वहीं इस साल जनवरी महीने में कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि उन्होंने विभिन्न पक्षकारों और संबंधित संस्था और लोगों से सुझाव मांगे हैं, क्योंकि सरकार आपराधिक कानूनों में व्यापक संशोधन करने की प्रक्रिया में है. केंद्र ने दलील देते हुए कहा था कि उसने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मुद्दे पर उनकी टिप्पणी के लिए पत्र भेजा है और जब तक सभी पक्षों को इसका जवाब नहीं आ जाता तब तक कोर्ट की कार्यवाही स्थगित कर दी जाए.

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि अभी तक इस मामले में किसी राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है और केंद्र सरकार फिलहाल सभी राज्यों और संबंधित पक्षों का जवाब आने के बाद ही इस मामले पर कोई कदम आगे बढ़ा सकती है.

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