कल पृथ्वी के पास से गुजरेगा एस्ट्रॉइड, जानिए धरती पर खतरे को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

ताजमहल से तीन गुना बड़े आकार वाला एक क्षुद्रग्रह या उल्का पिंड धरती के बेहद नजदीक से गुजरेगा. नासा के अनुसार रविवार को यह धरती के सबसे पास होकर गुजरेगा. धरती के नजदीक वाले इस पिंड का नाम 2008 GO20 दिया गया है. यह 8.2 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की तरफ आ रहा है. यह हमारे ग्रह से लगभग 30 से 40 लाख किलोमीटर दूर होगा. इस एस्ट्रॉइड की चौड़ाई 97 मीटर और लंबाई 230 मीटर है, जो चार फुटबॉल मैदान के लगभग बराबर है. इसका आकार ताजमहल से तीन गुना होगा. नासा के अनुसार Near-Earth Object (NEO) या पृथ्वी के नजदीक वाले पिंड को क्षुद्रग्रह या धूमकेतू के रूप में परिभाषित किया जाता है. यह पृथ्वी से तब टकराएगा जब इसकी दूरी पृथ्वी और सूर्य की दूरी से 1.3 गुना कम है. इसलिए इस एस्टेरॉयड से किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. यह पृथ्वी से बिल्कुल भी नहीं टकराएगा.

पृथ्वी से नहीं टकराएगा
पढ़ानी समांता तारामंडल भुवनेश्वर में डिप्टी डाइरेक्टर डॉ शुभेंदु पटनायक ने बताया कि घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि 2008 GO20 के पृथ्वी से टकराने की कोई आशंका नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें हलचल नहीं मचाना चाहिए. हम पूरी तरह से सुरक्षित हैं. उन्होंने बताया कि यह एस्ट्रॉइड 1935 में धरती के सबसे नजदीक यानी धरती से 19 लाख किलोमीटर नजदीक से गुजरा था जबकि 1977 में धरती से 29 लाख किलोमीटर नजदीक से गुजरा था. इस बार यह धरती से 45 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा. इसका मतलब यह हुआ कि चांद धरती के जितने नजदीक है उससे 11 से 12 गुना ज्यादा दूरी से यह एस्ट्रॉइड गुजरेगा.

धरती की कक्षा में आने से पहले ही राख हो जाते हैं ज्यादातर क्षुद्रग्रह
पटनायक ने बताया कि 2008 GO20 रविवार को भारतीय समयानुसार रात के 11 बजकर 21 मिनट पर पृथ्वी के सबसे नजदीक रहेगा. उन्होंने कहा कि यह एस्ट्रॉइड पृथ्वी की तरफ 29 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ रहा है. इतनी तेज गति से आ रहे एस्ट्रॉइड के मार्ग में अगर कोई भी चीजें आएंगी तो वह उसे नष्ट कर देगा. पिछली बार 20 जून 2008 को धरती के सबसे नजदीक से एक एस्ट्रॉइड गुजरा था और अगली बार यह 25 जुलाई 2034 को एक बार फिर धरती के नजदीक से गुजरेगा. मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच सूर्य की कक्षा में लाखों एस्ट्रॉइड चक्कर लगाते रहते हैं. कभी-कभी पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ये नजदीक चले आते हैं. इनमें से 99.99 प्रतिशत एस्ट्रॉइड धरती की कक्षा में आने से पहले ही जलकर राख हो जाते हैं.

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