9 साल पहले भी दिल्‍ली में हो चुका है इजरायली ऑफिसर पर हमला, तब आया था ईरान का नाम, जानिए पूरा मामला

दिल्ली :शुक्रवार की शाम राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली स्थित डॉक्‍टर एपीजे अब्‍दुल कलाम रोड पर स्थित इजरायली दूतावास के करीब एक ब्‍लास्‍ट ने सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ा दिए. ब्‍लास्‍ट बहुत कम तीव्रता वाला था लेकिन आसपास खड़ी गाड़‍ियों के शीशे टूट गए. शाम करीब 6 बजे हुई इस घटना में कोई घायल तो नहीं हुआ लेकिन इससे साल 2012 में हुई एक घटना की याद ताजा हो गई. उस वर्ष भी इस समय के आसपास एक ऐसी घटना हुई थी जिसमें इजरायल ने ईरान को दोष दिया था.

क्‍या थी वह घटना
13 फरवरी 2012 को दिल्‍ली में इजरायली डिप्‍लोमैट्स पर हमला हुआ था. कार में हुए ब्‍लास्‍ट में इजरायल के राजनयिक और दूतावास का एक स्‍टाफ मेंबर घायल हो गया था. इसके अलावा एक स्‍थानीय कर्मी और पास से गुजरने वाले दो लोग भी घायल हो गए थे. इस घटना में एक मोटरसाइकिलिस्‍ट ने एक बम को इजरायली राजनयिक की पत्‍नी की गाड़ी में बांध दिया था. इस साजिश को उस समय अंजाम दिया गया था जब वह अपने बच्‍चों को स्‍कूल से लेने जा रही थीं. इनका नाम तल येहोशुहो कोरेन था. उन्‍हें इस घटना में हल्‍की चोटें आई थीं जबकि उनके ड्राइवर और पास खड़े लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस घटना में उस समय एक जर्नलिस्‍ट सैयद मोहम्‍मद अहमद काजमी पर आरोप तय हुए थे.

नेतन्‍याहू ने ईरान को बताया दोषी
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने इस ब्‍लास्‍ट के लिए ईरान को दोषी ठहराया था. तत्‍कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने बयान दिया और कहा कि ब्‍लास्‍ट में आरडीएक्‍स का प्रयोग नहीं हुआ है. जबकि भारत में हुए बाकी ब्‍लास्‍ट्स में इसका ही प्रयोग किया गया था और एजेंसियों को इस बात की आशंका थी कि ब्‍लास्‍ट में फिर से इसे प्रयोग किया गया है. चिदंबरम ने कहा था कि जब तक जांच नहीं हो जाती तब तक किसी पर भी आरोप नहीं लगाने चाहिए. दिल्‍ली पुलिस ने इस घटना में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. लेकिन पूछताछ के बाद इन्‍हें छोड़ दिया गया था. चिदंबरम ने कहा था कि इस घटना को एक वेल ट्रेन्‍ड हमलावर ने अंजाम दिया था.

क्‍यों ईरान ने किया था हमला
7 मार्च 2012 को दिल्‍ली पुलिस ने जर्नलिस्‍ट मोहम्‍मद अहमद काजमी को गिरफ्तार कर लिया था. काजमी, ईरान की मीडिया ऑर्गनाइजेशन के लिए काम करते थे. पुलिस ने दावा किया था कि उन्‍होंने तीन और ईरानी नागरिकों के साथ मिलकर इजरायली दूतावास की रेकी की थी जिसमें से एक ने ब्‍लास्‍ट को अंजाम दिया है. जुलाई 2012 में दिल्‍ली पुलिस इस निष्‍कर्ष पर पहुंची थी कि आतंकी ईरान की मिलिट्री, ईरानी रेवोल्‍यूशनरी गार्ड्स से जुड़े हुए थे और उन्‍होंने ही इस हमले को अंजाम दिया था.

पुलिस के मुताबिक ईरानी एजेंट्स कोवर्ट ऑपरेशंस का बदला लेना चाहते थे जिसमें ईरानी वैज्ञानिक की हत्‍या भी शामिल थी. काजमी को अक्‍टूबर 2012 में जमानत मिल गई थी और साल 2016 तक वह जमानत पर थे. इसके बाद उनके बारे में किसी को ज्‍यादा जानकारी नहीं है.

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