नई दिल्ली: रिलायंस -फ्यूचर ग्रुप डील के खिलाफ अमेजन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. इस फैसले का रिलायंस रिटेल के साथ फ्यूचर ग्रुप के सौदे पर भी असर पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह तय करेगा कि क्या इमरजेंसी आर्बिट्रेटर के पास आर्बिटल ट्रिब्यूनल का कानूनी दर्जा है. क्या इसे लागू किया जा सकता है. क्या फ्यूचर ग्रुप की अपील दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के समक्ष सुनवाई योग्य है? फ्यूचर ग्रुप के रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ 3.4 बिलियन डॉलर के सौदे को अमेज़न ने चुनौती दी है.अमेजन के पक्ष में इमरजेंसी आर्बिट्रेटर ने फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस रिटेल के साथ 27,513 करोड़ रुपये के सौदे पर रोक लगाने का निर्देश दिया था. जिसे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.
इस सौदे को लेकर अमेरिका की ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजनडॉटकॉम एनवी इन्वेस्टमेंट होंल्डिंग्स एलएलसी तथा एफआरएल कानूनी लड़ाई में उलझे हैं. अमेजन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि सिंगापुर के आपातकालीन पंचाट (ईए) का एफआरएल को रिलायंस रिटेल के साथ विलय सौदे से रोकने का फैसला ‘वैध’ है और इसका क्रियान्वयन कराया जाना चाहिए. कोर्ट इस पर आज फैसला सुनायेगा कि सौदे पर रोक लगाने का सिंगापुर के आपातकालीन पंचाट (ईए) का फैसला भारतीय कानून के तहत वैध और लागू करने योग्य है या नहींबता दें कि फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस डील के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था. न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. साल 2019 में अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप को 1920 लाख डॉलर दिया था. अमेजन ने यह भुगतान फ्यूचर ग्रुप की गिफ्ट वाउचर इकाई में 49 फीसदी हिस्सेदारी के लिए किया था. अमेजन इस सौदे के आधार पर कहा है कि फ्यूचर ग्रुप अपने कारोबार को रिलायंस को नहीं बेच सकता.