कांग्रेस का कहना है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करते थे। इसके साथ ही कांग्रेस ने पंडित नेहरू की आलोचना करने वालों पर भी निशाना साधा।
दरअसल, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में पंडित नेहरू और अन्य कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों के योगदान को लेकर कांग्रेस और भाजपा में जुबानी जंग चल रही है। विपक्षी दल अपने नेताओं के प्रयासों को उजागर कर रहा है, जबकि सत्तारूढ़ दल का दावा है कि 2014 के बाद इस क्षेत्र में बड़ी प्रगति हुई है।
रविवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा, “नेहरू वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते थे। ISRO के निर्माण में उनके योगदान को जो नहीं पचा पा रहे हैं, वो TIFR (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च)के शिलान्यास के दिन का उनका भाषण सुन लें।” रमेश ने कार्यक्रम में नेहरू के भाषण का एक वीडियो भी साझा किया।
रमेश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, “वह बादलों से रडार को बचाने वाले विज्ञान के ज्ञाता की तरह सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे बल्कि बड़े-बड़े फैसले लेते थे।”
चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफलता के बाद कांग्रेस ने कहा था कि यह प्रत्येक भारतीय की सामूहिक सफलता है। इसरो की उपलब्धि निरंतरता की गाथा को दर्शाती है। यह वास्तव में शानदार है।
कांग्रेस ने कहा है कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा 1962 में INCOSPAR के गठन के साथ शुरू हुई, जो होमी भाभा और विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता के साथ-साथ देश के पहले प्रधान मंत्री नेहरू के उत्साही समर्थन का परिणाम था। बाद में, अगस्त 1969 में, साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना की।