संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के साथ ही भारत के संविधान से ‘इंडिया’ शब्द को हटाने की मांग एक बार फिर से तेज हो गई है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ओर से बयान देने के बाद सरकार पर संविधान से इंडिया शब्द को हटाने का दबाव और ज्यादा बढ़ गया है. सोमवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भी भारत के संविधान से इंडिया शब्द को हटाने की मांग करते हुए इसे औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक बताया है.
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने इंडिया की जगह भारत शब्द का ही इस्तेमाल करने की वकालत करते हुए हाल ही में कहा था कि हमारे देश का नाम सदियों से भारत है, इंडिया नहीं. उन्होंने लोगों से इंडिया की बजाय देश का पुराना नाम भारत का ही इस्तेमाल करने की अपील भी की थी.
ऐसे में आगामी 18 से 22 सितंबर के दौरान आयोजित किए जाने वाले संसद के विशेष सत्र में इस प्रस्ताव से जुड़े बिल को लाने की मांग बीजेपी नेता ही कर रहे हैं. हालांकि संसद के विशेष सत्र में भारत में आयोजित जी-20 के सफल आयोजन, चंद्रयान-3 और आदित्य-एल की सफल उड़ान और आजादी के अमृत काल में 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के रोडमैप पर चर्चा होने की संभावना है. इसके अलावा कयास यह भी लगाया जा रहा है कि एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर भी सरकार कदम बढ़ा सकती है.
संसद में प्रस्ताव पेश कर सकती है सरकार
चूकि संसद के विशेष सत्र का आधिकारिक एजेंडा अभी जारी नहीं हुआ है ऐसे में संभावना ये भी जताई जा रही है कि संसद के विशेष सत्र में इंडिया की जगह सिर्फ भारत करने से संबंधित संविधान में संशोधन का प्रस्ताव लाया जा सकता है. दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद -1 में भारत को लेकर दी गई परिभाषा में ‘ इंडिया, दैट इज भारत यानी इंडिया अर्थात भारत’ का इस्तेमाल किया गया है. इसी अनुच्छेद में संशोधन की बात कही जा रही है.
टीवी-9 भारतवर्ष से खास बातचीत करते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भारत के संविधान से इंडिया शब्द को हटाने की मांग करते हुए कहा कि यह शब्द औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक है और संविधान संशोधन कर इस शब्द को जल्द से जल्द हटाना चाहिए क्योंकि इंडिया प्राणविहीन शब्द है और भारत जीवंत और प्राणयुक्त शब्द है. उन्होंने कहा कि वो जल्द ही इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाले हैं.
मानसून सत्र में बीजेपी सांसद ने उठाया था मुद्दा
हाल ही में समाप्त हुए संसद के मानसून सत्र में बीजेपी के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने भी राज्यसभा में इंडिया नाम को औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक बताते हुए इंडिया दैट इज भारत हटा कर केवल भारत शब्द का उपयोग करने की मांग उठाई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं लालकिले से अमृत काल के जिन पंच प्रण की बात कही थी उसमें से एक प्रण गुलामी की मानसिकता और उसके प्रतीकों से मुक्ति पाना भी है. प्रधानमंत्री मोदी तो विपक्षी गठबंधन द्वारा अपना नाम इंडिया रखने पर हमला बोलते हुए उसकी तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी तथा इंडियन मुजाहिदीन और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे आतंकी संगठनों से भी कर चुके हैं.