अंगीठी ने किया अनाथ! धुएं से घुटा पति-पत्नी का दम, बच गया 2 माह का मासूम

दिल्ली में इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है. लोग घरों में दुबके हुए हैं. कोई रूम हीटर जलाकर सेक रहा है तो कोई बिजली बचाने के लिए घर में अंगीठी जलाकर काम चला रहा है, लेकिन ये अंगीठी जानलेवा साबित हो रही हैं. दरअसल, द्वारका में रात के समय घर में अंगीठी जलाकर सो रहे पति-पत्नी की दम घुटने से मौत हो गई. वहीं उनका दो महीने का बच्चा बच गया. सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने पति-पत्नी के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया, जबकि बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया.

जानकारी के मुताबिक, द्वारका सेक्टर-23 के पोछानपुर गांव में एक परिवार अपने 2 महीने के बच्चे के साथ रह रहा था. सेक्टर-23 पुलिस को किसी ने फोन करके बताया कि एक घर के अंदर से बच्चे के रोने की आवाज आ रही है और उसके मां-बाप नीचे जमीन पर पड़े हैं. उन लोगों ने दरवाजा खुलवाने की कोशिश की, लेकिन नहीं खुला तो खिड़की तोड़ी. अंदर देखा तो मां-बाप जमीन पर पड़े थे, जबकि बच्चा रो रहा था.

बच्चे का अस्पताल में चल रहा इलाज
सूचना मिलने के बाद पोछानपुर गांव में कुछ पुलिसकर्मी पहुंचे. पति का नाम मानव और पत्नी का नाम नेहा बताया जा रहा है. वो दोनों दिल्ली में मजदूरी का काम करते थे. मानव और नेहा के साथ उनके दो महीने के बच्चे को पीसीआर वैन से आईजी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां मानव और नेहा को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया, जबकि दो महीने के बच्चे को अस्पताल में भर्ती कर इलाज शुरू किया.

दम घुटने से पति-पत्नी कि हुई मौत
पुलिस ने बताया कि रात में परिवार घर में अंगीठी जलाकर सो रहा था. बंद कमरे में धुआं होने और दम घुटने की वजह से पति-पत्नी की जान चली गई, जबकि दो महीने का बच्चा बच गया. बता दें कि ये कोई पहला मामला नहीं है, जहां घर में अंगीठी जलाने की वजह से परिवार के सदस्यों की जान गई हो. आए दिन ठंड में इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं.

अंगीठी जलाकर सो रहा था, सुबह जला हुआ मिला
ठंड में जाने-अनजाने ही सही, पर लोग लापरवाही करते हैं. सर्दियों से बचने के लिए अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. अभी हाल ही में एक निर्माणाधीन मकान में अंगीठी जलाकर सो रहे व्यक्ति की जलने से मौत हो गई. कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला गुजरातीयान निवासी पंकज व्यापारी थे. उनका मकान काफी पुराना हो गया था, इसलिए उसको तु़ड़वाकर दोबारा से बनवा रहे थे. परिवार के साथ वह पास में ही किराए के मकान में रह रहे थे. निर्माणाधीन मकान में सरिया और अन्य सामान रखा था, इसलिए रात को पंकज वहीं पर सोते थे. सुबह जब पत्नी उन्हें जगाने मकान पर पहुंची तो वह जल चुके थे.

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