पवन खेड़ा को SC से मिली बड़ी राहत

नई दिल्‍ली : कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश आया है. सुप्रीम कोर्ट से पवन खेड़ा को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने कहा है कि दिल्‍ली कोर्ट पवन खेड़ा को मंगलवार तक अंतरिम जमानत दे. साथ ही कोर्ट ने याचिका पर सीमित सुनवाई मंजूर की. सभी एफआईआर के क्लब करने पर नोटिस जारी कर दिया है. खेड़ा के खिलाफ उत्‍तर प्रदेश और असम में एफआईआर दर्ज हैं. पुलिस अब पवन खेड़ा को असम नहीं ले जा पाएगी. 

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को द्वारका कोर्ट से अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने द्वारका कोर्ट को खेड़ा को अंतरिम राहत देने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “दिल्ली की क्षेत्राधिकार वाली कोर्ट अंतरिम जमानत दें. मंगलवार तक अंतरिम जमानत दी जाए. खेड़ा को संरक्षण के लिए आदेश जारी कर रहे हैं. इस बीच खेड़ा निचली अदालत में जमानत याचिका दाखिल करें. उत्‍तर प्रदेश और असम में दर्ज एफआईआर एक साथ जोड़ने पर सोमवार को सुनवाई करेंगे.”
सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा, “जो पवन खेड़ा ने कहा वो नहीं कहना चाहिए था, मैं ये मानता हूं. उन्होंने खुद माना कि जुबां फिसल गई थी. उन्होंने माफी भी मांगी थी. उनको रिहा करने के आदेश दिए जाएं. अदालत उनको संरक्षण दे. देश में किसी भी राजनीतिक बयानबाजी पर ये गंभीर केस नहीं लगाए जा सकते. ये अभिव्‍यक्ति की आजादी का हनन है. गिरफ्तारी में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. खेड़ा ने जो अपराध किया है उसमें 3 और 5 साल की ही अधिकतम सजा है.  

सीजेआई ने कहा, “हम सभी एफआईआर के एक राज्य में निर्धारित कर देते हैं, ताकि वह राहत के लिए हाईकोर्ट जा सकें. इस स्टेज पर.हम एफआईआर रद्द नहीं कर सकते.” इस दौरान प्रधामंत्री पर दिया गया गया बयान सुनाया गया. इस पर सीजेआई ने पूछा कि ये सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का मामला कैसे? 

इससे पहले सिंघवी ने सीजेआई को सूचित किया कि खेड़ा दिल्ली हवाईअड्डे से सुबह 11 बजे उड़ान भरने वाले थे, लेकिन उन्हें विमान से उतार दिया गया. प्रधानमंत्री के बारे में उनके द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर असम, लखनऊ और वाराणसी में उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं. खेड़ा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 153बी के तहत मामला दर्ज किया गया है. हालांकि, वह व्यक्तिगत रूप से विवादित बयानों का अनुमोदन नहीं करते हैं. लेकिन वाराणसी, लखनऊ और असम की एफआईआर को एक साथ जोड़ा जाना चाहिए

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