क्रेडिट कार्ड बनवाने के नाम पर साइबर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश

फरीदाबाद: डीसीपी मुख्यालय हेमेंद्र कुमार मीणा के दिशा निर्देश व एसीपी साइबर अभिमन्यु गोयत के मार्गदर्शन में कार्रवाई करते हुए साइबर थाना एनआईटी प्रभारी नवीन कुमार व उनकी टीम ने क्रेडिट कार्ड बनवाने के नाम पर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में दीपक, तुषार उर्फ गोल्डी, अक्षय, विनय उर्फ जॉनी, रूपक, मनीष, कुनाल तथा रवीश का नाम शामिल है। आरोपी रविश नोएडा तथा बाकी सभी आरोपी दिल्ली में रह रहे थे। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि आज के आधुनिक युग में ज्यादातर लोग क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं परंतु जागरूकता ना होने के कारण वह साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं। साइबर अपराधी क्रेडिट कार्ड बनवाने के नाम पर लोगों को फोन करते हैं और उनसे पूछते हैं कि क्या वह कोई क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर रहे हैं। सामने से व्यक्ति बताता है कि वह किसी बैंक का क्रेडिट कार्ड पहले से उपयोग कर रहा है।

इसके पश्चात साइबर अपराधी उसे आईडीएफसी फर्स्ट बैंक का क्रेडिट कार्ड बिना कोई शुल्क या फीस के बनवाने तथा उसपर लाखों रुपए की लिमिट देने की बात करते हैं। साइबर अपराधियों की लुभावनी बातों को सुनकर व्यक्ति उनके झांसे में आ जाता है और वह क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए तैयार हो जाता है।

यहां से साइबर ठगों का खेल शुरू होता है। साइबर अपराधी उस व्यक्ति को एक ऐप (apk file) भेजते हैं और उस ऐप को खोलने पर उसके ऊपर आईडीएफसी फर्स्ट बैंक का लोगो दिखाई देता है जिससे उस व्यक्ति को विश्वास हो जाता है कि यह असली बैंक की ऐप है जबकि वह ऐप फर्जी होती है।

इसके पश्चात साइबर अपराधी उसे पहले से उपयोग कर रहे क्रेडिट कार्ड से ₹10 इस ऐप के माध्यम से भेजने के लिए बोलते हैं। इसके पश्चात जब वह व्यक्ति पैसे भेजने के लिए अपने क्रेडिट कार्ड का नंबर व अन्य डिटेल डालता है तो सारी जानकारी साइबर अपराधियों के पास पहुंच जाती है और वह क्रेडिट कार्ड में बची हुई सारी लिमिट अपने खाते में ट्रांसफर करवा लेते हैं।

साइबर अपराधियों ने फरीदाबाद के रहने वाले एक व्यक्ति के साथ इसी प्रकार झांसा देकर 53040 रुपए की धोखाधड़ी की थी जिसकी शिकायत थाने में देने के पश्चात आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करके उनकी तलाश शुरू की गई। थाना प्रभारी के नेतृत्व में साइबर टीम गठित की गई जिसमें उपनिरीक्षक अर्जुन सिंह, एएसआई भूपेंद्र, मुख्य सिपाही नरवीर, सिपाही युद्धवीर, अंशुल तथा अमित का नाम शामिल था जिन्होंने तकनीकी के आधार पर कार्रवाई करते हुए आरोपियों को दिल्ली, नोएडा व बिहार एरिया से गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों के कब्जे से 5 मोबाइल फोन, 4 सिम कार्ड, कोटक महिंद्रा बैंक के 2 डेबिट कार्ड तथा ₹44000 नगद बरामद किए गए। आरोपियों को अदालत में पेश करके पुलिस रिमांड पर लिया गया जिसमें पुलिस पूछताछ के दौरान सामने आया कि आरोपी अक्षय इस गैंग का मुखिया है जो दिल्ली में अपना कॉल सेंटर चलाता है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में एक आरोपी कोटक महिंद्रा बैंक में असिस्टेंट मैनेजर तथा एक आरोपी आरबीएल बैंक में नौकरी करता है। दोनों आरोपी अपने साथियों को बैंक अकाउंट उपलब्ध करवाने का काम करते हैं जिसमें साइबर ठग धोखाधड़ी का पैसा प्राप्त करते हैं।

आरोपी भोले भाले लोगों को अपना शिकार बनाते हैं और उन्हें उनके खून पसीने की कमाई को चुटकियों में साफ कर देते हैं। पुलिस आरोपियों द्वारा की गई धोखाधड़ी के अन्य वारदातों के बारे में जांच कर रही है और जांच पूरी होने के पश्चात कानून के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। पुलिस पूछताछ पूरी होने के पश्चात आरोपियों को अदालत में पेश करके जेल भेज दिया गया है।

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