PM मोदी के खिलाफ अजय राय ने लड़ा दो बार चुनाव; दोनों बार मिली हार- कांग्रेस ने खेला यह दांव

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस ने प्रदेश में बड़ा फेरबदल किया है। पार्टी ने प्रयाग प्रांत के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को अभी कोई नया दायित्व नहीं सौंपा गया है। अजय राय को नई जिम्मेदारी सौंपे जाने के साथ ही पार्टी ने प्रांतीय अध्यक्ष का पद भी समाप्त कर दिया है।

कांग्रेस ने अजय राय को लोकसभा चुनाव 2014 व 2019 में वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध अपना उम्मीदवार बनाया था। माना जा रहा है कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने पूर्वांचल पर दांव लगाया है।

भाजपा से नाराज सवर्ण वोटबैंक को साधने के लिए अजय राय को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। पूर्वांचल में उनकी पकड़ अच्छी मानी जाती है। पार्टी के जनरल सेक्रेट्री केसी वेणुगोपाल ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जाने का आदेश जारी किया है।

बृजलाल खाबरी को एक अक्टूबर, 2022 को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। उन्होंने आठ अक्टूबर को पदभार ग्रहण किया था। इसके साथ ही पार्टी ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पश्चिमी प्रांत, नकुल दुबे को अवध, अनिल यादव को बृज, वीरेन्द्र चौधरी को पूर्वांचल, योगेश दीक्षित को बुंदेलखंड व अजय राय को प्रयाग प्रांत का अध्यक्ष नियुक्त किया था। खाबरी अपने दस माह के कार्यकाल में नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन भी नहीं करा सके थे।

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के अनुसार निकाय चुनाव से पहले नई प्रदेश कार्यकारिणी के गठन को लेकर खाबरी दिल्ली भी गए थे, पर कोई सार्थक निर्णय नहीं हो सका। पार्टी ने छह प्रांतीय अध्यक्षों के माध्यम से जातीय संतुलन साधने का प्रयास तो जरूर किया था पर उसका यह फार्मूला सफल साबित नहीं हुआ।

खाबरी व प्रांतीय अध्यक्षों के लिए लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माना जाने वाला निकाय चुनाव दमखम दिखाने का पहला मौका था लेकिन, नतीजे पार्टी को बुरी तरह निराश करने वाले थे। कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पार्टी के भीतर लगभग डेढ़ माह से खींचतान थी। नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अजय राय की दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी। इस पद के लिए उनके अलावा वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया व कुछ अन्य नेताओं के नाम भी लिए जा रहे थे।

निकाय चुनाव के दाैरान टिकटों के बंटवारे को लेकर पार्टी में असंतोष व अंतरकलह भी सामने आई थी, जिसके बाद ही भीतरखाने बड़े बदलाव को लेकर चर्चाएं तेज हो गई थीं। इस बदलाव के पीछे पार्टी में ताकतवर माने जाने वाले कुछ नेताओं से खाबरी के मतभेदों को भी जोड़कर देखा जा रहा है।

कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह से खाबरी की बन नहीं रही थी। निर्णय को लेकर कुछ कांग्रेसियों का यह भी कहना है कि इस बदलाव से प्रदेश में दलित-मुस्लित गठजोड़ को लेकर शुरू की गई मुहिम को झटका भी लग सकता है। वहीं खाबरी का कहना है कि पार्टी जो नया दायित्व सौंपेगी, उसका निर्वहन करूंगा।

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