पहले मेयर का टिकट काटा, संत समाज से नए प्रत्याशी को मैदान में उतारा; फिर भी BJP को अयोध्या में हार का डर?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पूरा फोकस इस बार यूपी के निकाय चुनाव पर है. पिछली बार के मुकाबले इस बार उन्होंने कर्नाटक चुनाव के लिए कम समय दिया. पहले चरण में सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी 10 नगर निगमों का दौरा किया, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि मेयर के एक चुनाव के लिए उन्हें दो-दो बार वोट मांगने जाना पड़ा. वो नगर निगम भी ऐसा है, जो पिछले चार दशकों से बीजेपी की राजनीति का केंद्र रहा है.

कहने के लिए पार्टी इसे आस्था का विषय बताती है, लेकिन सच यही है कि अयोध्या और वहां का राम मंदिर बीजेपी के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है. इसी अयोध्या को लेकर चुनाव के लिहाज से पार्टी का फीडबैक अब तक ठीक नहीं रहा है. इसलिए सीएम योगी को यहां प्रचार के लिए आठ मई को दूसरी बार आना पड़ा. चुनावी मंच से उन्होंने इमोशनल कार्ड खेला. योगी ने कहा कि अयोध्या में रामभक्तों पर गोली चलवाने वालों को एक वोट मिल जाना कष्ट होता है. अयोध्या से रामभक्त को ही सम्मान मिलना चाहिए.

बीजेपी और समाजवादी पार्टी में सीधा मुकाबला
अयोध्या में मेयर चुनाव के लिए इस बार बीजेपी और समाजवादी पार्टी में सीधा मुकाबला है. बीजेपी ने इस बार प्रयोग करते हुए संत समाज से आए एक नेता गिरीशपति त्रिपाठी को टिकट दिया है. वे वशिष्ठ पीठ के महंत हैं. जमीन खरीद को लेकर विवादों में रहने वाले मेयर ऋषिकेश उपाध्याय को पार्टी ने दोबारा मौका नहीं दिया. शुरुआत में बीजेपी के लोगों ने ही गिरीशपति का विरोध किया. पार्षद के चुनाव में बीजेपी के कई बागी उम्मीदवार उतर आए हैं. इनमें से कुछ को मनाया गया और जो नहीं माने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया है.

सपा की तरफ से डॉक्टर आशीष पांडे मैदान में
समाजवादी पार्टी ने डॉक्टर आशीष पांडे को टिकट दिया है. वे जयशंकर पांडे के बेटे हैं, जो दो बार विधायक रहे और कई सालों तक अयोध्या से समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष भी रहे. कहा जा रहा है कि बीजेपी के कुछ बागी नेता उनकी मदद कर रहे हैं. ब्राह्मण वोटों में भी बंटवारा हो सकता है, जिन्हें बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है. 10 साल पहले अयोध्या के विधानसभा चुनाव में बीजेपी हार गई थी.

इससे पहले 4 मई को अयोध्या आए थे योगी आदित्यनाथ
अयोध्या में हर हाल में जीतने के लिए योगी आदित्यनाथ ने यहां दूसरी बार प्रचार करने का फैसला किया. 4 मई को भी वे यहां आए थे. इस बार भी उन्होंने साधु-संतों से अलग से मुलाकात की. इस मीटिंग में उन्होंने कहा कि इस बार उम्मीदवार आपके बीच से ही हैं. इसीलिए आप सब संत समाज के लोग टोली बनाकर इनके लिए वोट मांगें. इस दौरान योगी बोले कि अयोध्या पर देश ही नहीं पूरी दुनिया की नजर है.

राम के काम में तेजी से जुट जाएं’, संतों से बोले योगी
अगले साल जनवरी महीने में भगवान रामलला मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. इसीलिए मेयर तो अपना ही होना चाहिए. मणिराम छावनी में संतों से योगी ने कहा कि समय नहीं बचा है. मेरे यहां से जाते ही आप सब राम के काम में जुट जाएं. पिछली बार मेयर के चुनाव में बीजेपी बस तीन हजार वोटों से ही जीत पाई थी. तब पार्टी के अंदर कोई कलह नहीं थी, लेकिन इस बार हालात बदल गए हैं. इसीलिए सीएम योगी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

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