उत्‍पीड़न या भेदभाव के शिकार लोगों को खुलकर बोलने की आजादी, नया कानून लागू

कैलिफोर्निया : कैलिफोर्निया (California) में एक नया कानून प्रभावी हो गया है. कानून कार्यस्‍थल पर उत्‍पीड़न या भेदभाव के शिकार लोगों को गोपनीयता की शर्तों से घिरे होने के बजाय स्‍वतंत्र रूप से बोलने की अनुमति देता है. जानकारों का मानना है कि राज्‍य में कई टेक कंपनियों का मुख्‍यालय है. ऐसे में “साइलेंस नो मोर” अधिनियम का व्‍यापक प्रभाव हो सकता है. साथ ही उनका कहना है कि जब कंपनियों को अपने कर्मचारियों के परेशान करने वाले व्‍यवहार का सामना करना पड़ता है तो नॉन डिस्‍क्‍लोजर एग्रीमेंट (एनडीए) का बहुत आसानी से सहारा लिया जाता है.

आमतौर पर एनडीए को कंपनियों द्वारा एक कर्मचारी के साथ वित्तीय समझौते के हिस्से के रूप में जोड़ा जाता है. रोजगार कानून के जानकार वकील लॉरेन टोपेलसोहन ने कहा, “एनडीए का इस्तेमाल किसी को चुप कराने के लिए किया जा सकता है.” उन्होंने कहा, “यह मौन खरीदता है और मौन एक अपराधी को फिर से कार्य करने की अनुमति देता है.”

गवर्नर गेविन न्यूजॉम ने गुरुवार को कानून पर हस्ताक्षर किए हैं. यह किसी भी एनडीए पर प्रतिबंध लगाता है, जो कर्मचारियों को कार्यस्थल में किए गए अवैध कृत्यों के बारे में बोलने से रोकता है.
मुख्य रूप से इसका मतलब उन शिकायतों से है जिनमें अन्य संरक्षित मानदंडों के बीच त्वचा के रंग, धर्म, विकलांगता, लिंग, लिंग की पहचान, उम्र या यौन अभिविन्यास के कारण भेदभाव या उत्पीड़न शामिल है.

जिन लोगों ने इस कानून को आगे बढ़ाया है, उनकी नजर में बड़ी टेक कंपनियों के कैलफिोर्निया स्थित हैडक्‍वार्टर हैं. उनका कहना है कि गूगल और एपल जैसी कंपनियां असुविधाजनक सच को छुपाने और शिकायतकर्ताओं को पैसा चुकाने से बचने के लिए एनडीए का सहारा लेती हैं. एक गूगल कर्मचारी ने एएफपी से कहा कि इंडस्‍ट्री में एनडीए एक आम हथियार है.

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