दूसरे टर्म में सपोर्ट खोने लगती हैं सरकारें, भारत इसका अपवाद: पीएम मोदी

विश्व के लोकतांत्रिक देशों पर नजर डाली जाए तो ये देखने को मिलता है कि अधिकतर सरकारें अपने दूसरे कार्यकाल में जनता का सपोर्ट खोने लगती हैं. इसकी वजह जनता का असंतोष है. हमारे पास अपने वादों को पूरा करने का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है. यह लोगों के लिए बहुत बड़ी बात है. वो ऐसे वादे सुनने के आदी थे जो कभी पूरे नहीं होते थे. ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसिद्ध मैग्जीन न्यूजवीक को दिए एक इंटरव्यू में कहीं.

न्यूजवीक ने पीएम मोदी से उनके नेतृत्व में आगामी लोकसभा चुनाव, लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता, इन्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण, चीन से प्रतिस्पर्धा पर, डिजिटल भुगतान और यूपीआई पर, भेदभाव की शिकायत करने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों पर, महिलाओं की स्थिति पर, भारत-चीन सीमा विवाद पर, पाकिस्तान पर, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने की आलोचना पर, राम मंदिर के महत्व पर व मोदी की विरासत और नेतृत्व को लेकर लिखित सवाल पूछे थे. जानिए इन सवालों के जवाब में उन्होंने क्या कहा…

आगामी लोकसभा चुनाव
पीएम मोदी कहते हैं, हमारे पास अपने वादों को पूरा करने का बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड है. ये लोगों के लिए बड़ी बात है क्योंकि उनसे ऐसे वादे किए जाते थे जो कभी पूरे नहीं होते थे. हमारी सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के साथ काम किया है. लोगों ने देखा है कि भारत 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से आगे बढ़कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. वो चाहते हैं कि भारत जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने.

लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता
पीएम ने कहा कि भारत केवल इसलिए लोकतंत्र नहीं क्योंकि हमारा संविधान ऐसा कहता है, बल्कि इसलिए है क्योंकि यह हमारे जीन में है. हमारा देश लोकतंत्र की जननी है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में साल 2019 के आम चुनावों में 600 मिलियन से अधिक लोगों ने मतदान किया. अब होने वाले चुनाव में 970 मिलियन से अधिक लोग मतदान करेंगे. मतदाताओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी भारतीय लोकतंत्र के प्रति लोगों की आस्था का बड़ा प्रमाण है.

प्रेस की स्वतंत्रता पर पीएम ने कहा कि भारत इसलिए आगे बढ़ रहा है काम कर रहा है क्योंकि यहां एक जीवंत फीडबैक तंत्र है. हमारा मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हमारे पास लगभग 1.5 लाख पंजीकृत मीडिया प्रकाशन और सैकड़ों समाचार चैनल हैं.

चीन से कंपटीशन पर
पीएम ने कहा कि हमने परिवर्तनकारी आर्थिक सुधार किए हैं. कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती, श्रम कानूनों में सुधार, एफडीआई मानदंडों में छूट, इसके उदाहरण हैं. हमने व्यापार के लिए महत्वपूर्ण सुधार किए हैं. बुनियादी ढांचे को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने का प्रयास कर रहे हैं. हमारा मानना है कि जब हम वैश्विक मानकों को अपनाएंगे तो दुनिया पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा. भारत को अब विश्व स्तर पर सबसे उपयुक्त माना जाता है.

वहीं, अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव पर पीएम मोदी ने कहा कि ये वो लोग बोलते हैं जो अपनी कोठरी से बाहर निकलकर लोगों से नहीं मिलते. सरकारी योजना का फायदा सभी को मिल रहा है. चीन के साथ सीमा विवाद पर उन्होंने कहा कि संबंध सुधारने के लिए सीमा विवाद का सुलझना जरूरी है. मुझे भरोसा है कि बातचीत से हल निकलेगा.

पाकिस्तान के पीएम रहे⁠ इमरान खान की गिरफ्तारी को उन्होंने पाकिस्तान का आंतरिक मामला बताया. वहीं, ⁠जम्मू कश्मीर को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर जाकर देखिए, कितना बदलाव हुआ है. ⁠प्रधानमंत्री मोदी को भविष्य में कैसे याद रखा जाएगा इस पर उन्होंने कहा, मैं कभी नहीं सोचता . 140 करोड़ लोगों के लिए बिना थके काम करता रहूंगा.

न्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण
पीएम ने कहा कि पिछले दशक में भारत के बुनियादी ढांचे में तेजी आई है. बीते 10 साल में हमारा राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क 60 प्रतिशत बढ़ा है. हमने अपने हवाई अड्डों को दोगुना से अधिक कर दिया है. हमने अपने बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाई है. नागरिकों की सुविधा के लिए टेक-स्मार्ट ‘वंदे भारत’ ट्रेनें शुरू की हैं.

उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास और जलवायु परिवर्तन से लड़ने की हमारी प्रतिबद्धता के बीच कोई विरोधाभास नहीं है. बुनियादी ढांचे को कैसे बढ़ाया जाए और जलवायु परिवर्तन को कम किया जाए, भारत इसका विश्वसनीय मॉडल पेश करता है. इस दौरान उन्होंने सौर ऊर्जा का जिक्र किया.

मोदी का नेतृत्व
पीएम ने कहा कि नेतृत्व के लिए सबसे बड़ी है सुनना का गुण होना. यह मेरे अंदर गॉड-गिफ्टेड है. मैं फोन कॉल, मैसेज या किसी अन्य चीज से विचलित नहीं होता. हर काम को तल्लीनता से करता हूं. जब मैं गुजरात का सीएम था तो एक सुबह करीब 3 बजे एक कस्बे से किसी का फोन आया.

मेरे स्टाफ को मेरी कार्यशैली पता थी. उन्होंने मुझे बताया. उस व्यक्ति ने फोन करके शहर में ब्लास्ट की सूचना दी. मैंने घटना के बारे में जानकारी लेने के लिए संबंधित अधिकारियों को बुलाया. उनमें से किसी को इसके बारे में कुछ नहीं पता था. मगर, पूरा प्रशासन काम पर लग गया और रेल दुर्घटना निकली. मेरे पास हर महीने हजारों लेटर आते हैं. मैं कई लेटर्स का जवाब देने की कोशिश करता हूं. इन्हीं लेटर्स से मेरे मन में ‘मन की बात’ कार्यक्रम का विचार आया.

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