नोएडा और गाजियाबाद से दिल्‍ली आना है तो पहले पढ़ लें यह खबर

दिल्ली. नए कृषि कानूनों (New Agricultural Laws) के खिलाफ किसानों (Kisan Andolan) का जारी आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ला रहा है. खास कर पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले 28 दिनों से दिल्ली के अधिकांश बॉर्डरों पर डटे हुए हैं. इससे यातायात व्यवस्था चलर हो गई है. सड़कों पर लंबा जाम लग रहा है. मिनटों का सफर तय करने में घंटों का समय लग रहा है. इसी बीच खबर है कि किसान विरोध प्रदर्शन के कारण चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर को बंद (Chilla And Ghazipur Border Closed) कर दिया गया है. इससे नोएडा और गाजियाबाद से दिल्ली आने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

वहीं, कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शनकारी ने बताया कि किसान दिवस पर मैं मोदी सरकार को एक ही बात बोलना चाहता हूं कि कृषि कानूनों को वापस लेकर हमें आज ये गिफ्ट में दें, क्योंकि अबका किसान पढ़ा-लिखा है. उन्हें इस कानूनों के बारे में पता है. इसी तरह सिंघु (दिल्ली-हरियाणा) बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शनकारी ने बताया कि जो चिट्ठी सरकार ने भेजी है आज उसका जवाब दिया जाएगा. हम 24 घंटे बात करने के लिए तैयार हैं. लेकिन वे बात नहीं करना चाहते, क्योंकि उनके मन में खोट है.

NH-9 को पूरी तरह जाम कर दिया गया था
बता दें कि मंगलावर को भी आंदोलनकारी किसानों ने उत्तर प्रदेश को दिल्ली से जोड़ने वाली गाजीपुर सीमा स्थित एनएच 9 को जाम कर दिया था. इससे यातायात प्रभावित हुआ था. सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतारें लग गई थी. दरअसल, सोमवार को भी किसानों ने एनएच 9 (NH-9) को पूरी तरह जाम कर दिया गया था.

मगर किसान भी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए थे

किसानों का आरोप था कि कुठार, पूरणपुर आदि में यूपी गेट आ रहे किसानों की पुलिस ने ट्रॉलियां रोक दी. इसके बाद आज सुबह किसानों ने एनएच-9 को पूरी तरह से बंद कर दिया. आपको बता दें कि एनएच-9 दिल्ली को मेरठ से जोड़ती है. इसके गाजीपुर बॉर्डर पर किसान बीते कई 26 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, एनएन 9 जाम की वजह से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है. फिर, आनन फानन में रुट डायवर्ट किया गया मगर जयम की स्थिति अभी भी बनी हुई है. हालांकि, गाजियाबाद जिलाधिकारी और एसएसपी मौके पर पहुंचे और किसानों से बातचीत की. मगर किसान भी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए थे.

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