‘महात्मा गांधी सभी के हैं’, आखिर गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट में ऐसा क्यों कहा?

गुजरात सरकार (Gujarat Government) ने बुधवार को कहा कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) सभी के हैं और साबरमती आश्रम (Sabarmati Ashram) पुनर्विकास परियोजना को चुनौती देने वाले उनके प्रपौत्र तुषार गांधी की स्थिति पर उच्च न्यायालय (High Court) में सवाल उठाया. महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने तुषार गांधी द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) के जवाब में मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ को बताया कि महात्मा गांधी 140 करोड़ लोगों के राष्ट्रपिता हैं.मामले की बृहस्पतिवार को फिर से सुनवाई होगी.

तुषार गांधी ने प्रस्तावित साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना – गांधी आश्रम स्मारक और परिसर विकास परियोजना – को चुनौती दी है और ‘राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि’ (एनजीएसएन) के तत्वावधान में पुनर्विकास कार्य की अनुमति देने का उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है.

महात्मा गांधी देश के 140 करोड़ लोगों के राष्ट्रपिता हैं
त्रिवेदी ने कहा, ‘हम राष्ट्रपिता की बात कर रहे हैं. वह इस देश के 140 करोड़ लोगों के ‘राष्ट्रपिता’ हैं. मैं उस याचिकाकर्ता के प्रति सम्मान रखता हूं जो कहते है कि वह (महात्मा गांधी के) प्रपौत्र हैं. हां, लेकिन महात्मा जी सभी के हैं. उनका (याचिकाकर्ता) विशेष अधिकार नहीं है.’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने परियोजना के वित्तपोषण के लिए नीतिगत निर्णय लिया है और केंद्र ने 1,246 करोड़ रुपये जारी करने को मंजूरी दी है.

न्यायिक समीक्षा का आधार क्या होना चाहिए?
उन्होंने कहा, ‘न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) का आधार क्या होना चाहिए, जहां केंद्र सरकार (Center) ने इस विशेष परियोजना के लिए 1,246 करोड़ रुपये देने का नीतिगत निर्णय लिया है? क्या इस विशेष निर्णय को चुनौती दी जानी चाहिए.’ महाधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहते है कि विकास ट्रस्टों -राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि और हरिजन सेवक संघ के तत्वावधान में किया जाए, जो हितधारक नहीं हैं. प्रतिवादियों- साबरमती आश्रम संरक्षण और स्मारक ट्रस्ट (SAPMT) और खादी ग्रामोद्योग प्रयोग समिति ने भी जनहित याचिका (PIL) का विरोध किया है.

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