यूपी के 150 से ज़्यादा पुलिसवाले सेक्सटॉर्शन गैंग का शिकार, वीडियो कॉल उठाते ही काम तमाम

जिस तरह टेक्नॉलिजी तेजी से विकसित हो रही है. उसी तरह अपराधी भी क्राइम के नए तरीके ईजाद कर रहे हैं. आज से लगभग 10 साल पहले जब एटीएम कार्ड और क्रेडिट कार्ट तेजी से आम लोगों के बीच पहुंचा तो इसके बारे में जानकारी नहीं थी. ठगों ने लाखों लोगों को अपना शिकार बनाया. इस पर वेब सीरीज जामताड़ा तक बन गई. अब ठगों ने सेक्सटॉर्शन (Sextortion) को अपना हथियार बनाया है. हैरत की बात ये है कि इससे पुलिसकर्मी भी नहीं बच पाए. बीते एक साल में यूपी पुलिस के 150 से ज्यादा कर्मी इस अपराध का शिकार हुए हैं.

सेक्सटॉर्शन में अपराधी जिस बात का सबसे ज्यादा फायदा उठा रहे हैं वो है पीड़ित का शिकायत न करना. शर्म के डर से इस अपराध के पीड़ित पुलिस के पास नहीं जाते. क्योंकि पूछताछ के दौरान उनको जानकारी देनी पड़ेगी. हमारे सहयोगी न्यूज9 प्लस की एक रिपोर्ट के अनुसार लेखक और साइबर-अपराध स्पेशलिस्ट अमित दुबे कहते हैं कि वीडियो कॉल पर जबरन वसूली वास्तव में आसान हो गई है क्योंकि हर कोई इंटरनेट पर फेसटाइम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से वीडियो कॉल कर रहा है. आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि इस तरह की जबरन वसूली का शिकार पिछले साल (2022) में यूपी के 150 से अधिक अधिकारियों को वीडियो कॉल कर शिकार बनाया गया है.

सेकंडों में हो जाता है खेल
‘सेक्सटॉर्शन’ ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसा ही है. जिसमें पीड़ितों की निजी तस्वीरें या वीडियो को इंटरनेट पर लीक करने की धमकी देकर उनसे पैसे वसूले जाते हैं. इसमें काम करने का तरीका सरल है. पीड़ित को केवल कुछ सेकंड के लिए वॉट्सऐप पर एक वीडियो कॉल मिलती है जहां एक लड़की निर्वस्त्र हो रही है. हालांकि कॉल तुरंत काट दिया जाता है, फिर भी लड़की को देखने के उनके कुछ सेकंड स्क्रीन-रिकॉर्डिंग ऐप के माध्यम से रिकॉर्ड किए जाते हैं, जिसे अपराधी 30 सेकंड तक बढ़ा देते हैं. फिर वे इस वीडियो को पीड़िता के परिवार के सदस्यों और सहकर्मियों को लीक करने की धमकी देते हैं. इसके बाद वो पैसा मांगते हैं. ये सिलसिला एक बार में खत्म नहीं होता. पीड़ित को बार-बार फोन कर पैसे की मांग की जाती है.

निलंबन के डर से पुलिसवाले नहीं लेते कोई एक्शन
दुबे कहते हैं, पुलिस अधिकारी आमतौर पर इस घटना को साझा नहीं करते हैं, क्योंकि कानूनी प्रावधान हैं कि उन्हें इस तरह के व्यवहार के लिए निलंबित कर दिया जाएगा. ऐसा सिर्फ यूपी पुलिस के साथ ही नहीं है बल्कि अन्य राज्यों के पुलिसकर्मी भी हैं. सितंबर 2022 में, एक महिला ने व्हाट्सएप पर कर्नाटक में एक सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) को फोन किया और कपड़े उतारना शुरू कर दिया. पुलिस अधिकारी ने जल्दी से कॉल काट दिया, लेकिन इससे पहले कि महिला ने इसे रिकॉर्ड किया और पैसे की मांग करते हुए संदेश भेजना शुरू कर दिया. पीड़िता ने पुलिस में तहरीर दी है.

पुलिस ही नहीं नेता भी हुए शिकार
सिर्फ पुलिस वाले ही नहीं विधायक भी यौन शोषण के शिकार हुए हैं. पिछले साल नवंबर में, कर्नाटक के वरिष्ठ भाजपा विधायक जीएच थिप्पारेड्डी ने एक पुलिस शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि एक अज्ञात व्हाट्सएप वीडियो कॉलर ने खुद को नग्न कर दिया. पुलिस का कहना है कि देश भर में स्कैमर पीड़ितों को ब्लैकमेल करने के लिए बर्नर सॉफ्टवेयर और फर्जी प्रोफाइल का इस्तेमाल करते हैं. बर्नर फोन एक सस्ता उपकरण है जो उपयोगकर्ताओं को अस्थायी डिस्पोजेबल फोन नंबर से कॉल करने की अनुमति देता है. अपराध करने के बाद इसे जल्दी से तोड़कर फेंका जा सकता है.

अलग कैटेगरी में शामिल नहीं अपराध
पूरे भारत के आंकड़ों का पता लगाना मुश्किल है क्योंकि सेक्सटॉर्शन को अलग कैटेगरी में दर्ज नहीं किया जाता. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2020 के आंकड़ों में ‘जबरन वसूली’ श्रेणी के तहत 2,440 साइबर अपराध दर्ज किए गए. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल डीसीपी के साथ तैनात तैनात साइबर सिपाही प्रशांत गौतम ने कहा कि कोई आपको वीडियो कॉल करेगा और आप उस कॉल को उठा लेंगे. दूसरी ओर, वहां एक व्यक्ति होगा जो कपड़े उतार रहा है या पहले से ही नंगा है. कुछ मामलों में, कोई भी महिला नहीं होती है. यह सिर्फ एक और फोन स्क्रीन है जिसका अपराधी उपयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि जब भी कोई आपको वीडियो कॉल करता है तो आपका कैमरे पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता. कॉल उठाते ही वो अपने आप एक्टिव हो जाता है.

यूपी पुलिस कर रही 400 मामलों की जांच
यूपी पुलिस की साइबर सेल कम से कम 400 ऐसे मामलों की जांच कर रही है, जिसमें ‘सेक्सटॉर्शन’ के 1400 से अधिक मामले सामने आए थे. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2022 में पुणे, तेलंगाना में, एक पूर्व पुलिस महानिदेशक, एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी और एक एनआरआई साइबर धोखेबाजों के निशाने पर थे. महाराष्ट्र साइबर पुलिस में पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) यशस्वी यादव के अनुसार, केवल 0.5 प्रतिशत सेक्सटॉर्शन के मामले पुलिस को सूचित किए जाते हैं.

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