नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा ऐसे हुई तैयार, 100 फुट लंबे ट्रक से लाया गया था दिल्ली

इंडिया गेट के पास लगाई गयी स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की भव्‍य प्रतिमा को तेलंगाना की एक खदान से निकाले गए 280 मीट्रिक टन वजन के ग्रेनाइट के एक विशाल पत्थर से तैयार किया गया है. इस विशाल पत्थर को दिल्ली भेजने के लिए खदान से राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाईवे) तक एक ”कामचलाऊ सड़क” का निर्माण किया गया था. इस विशाल पत्थर पर ही नेताजी की भव्य प्रतिमा को उकेरा गया है. मूर्तिकारों की एक टीम ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा को तराशने के लिए ”गहन कलात्मक प्रयास” के तहत कुल 26 हजार घंटे कड़ी मेहनत की.

प्रतिमा को ऐसे बनाया गया?
इस विशाल पत्थर को तेलंगाना के खम्मम से नई दिल्ली में राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (NGMA) तक ले जाने के लिए 140 पहियों वाला 100 फुट लंबा एक ट्रक विशेष रूप से डिजाइन किया गया था. इस ट्रक ने 1,665 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद आखिरकार इस विशाल पत्थर को दिल्ली पहुंचाया. ग्रेनाइट स्टूडियो इंडिया के निदेशक रजत मेहता ने कहा, ”नेताजी की प्रतिमा को एक अखंड विशाल पत्थर से बनाया गया है, जो एक बड़े नेता के रूप में उनके कद के अनुरूप है. हमें गर्व है कि हमने सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए इस पत्थर की आपूर्ति की है.”

काले रंग के ग्रेनाइट पत्थर से बनी प्रतिमा
प्रधानमंत्री ने गुरुवार को इंडिया गेट के पास स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्‍य प्रतिमा का अनावरण किया. काले रंग के ग्रेनाइट पत्‍थर से निर्मित 28 फुट ऊंची यह प्रतिमा इंडिया गेट के समीप एक छतरी के नीचे स्‍थापित की गई है. सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस (23 जनवरी) के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था. इस होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर किया गया था.

यह पहली परियोजना है, जो मोदी सरकार की 13,450 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत पूरी हुई है. संस्कृति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक एनजीएमए में ही इस प्रतिमा को पूरी तरह से तैयार किया गया. इस विशाल पत्थर को तेलंगाना के खम्मम से यहां लाया गया था.

नेताजी की इस प्रतिमा को पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक औजारों का उपयोग कर पूरी तरह हाथों से बनाया गया है. अरुण योगीराज के नेतृत्‍व में मूर्तिकारों के एक दल ने यह प्रतिमा तैयार की है. रजत मेहता ने कहा कि नेताजी की प्रतिमा बनाने के लिए यह पत्थर खम्मम की एक खदान से ‘रिकॉर्ड समय’ में प्राप्त किया गया था, लेकिन इसे दिल्ली भेजने में ‘कई चुनौतियां’ थीं.

ग्रेनाइट स्टूडियो ने क्या कहा? 
नई दिल्ली स्थित ग्रेनाइट स्टूडियो इंडिया के निदेशक ने कहा कि “टेलीफोन ब्लैक ग्रेनाइट’ का एक नमूना दिखाया. नेताजी की प्रतिमा का अनावरण आजाद हिंद फौज के पारंपरिक गीत ‘‘कदम, कदम बढ़ाए जा’’ की धुन के साथ किया गया. एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत और अनेकता में एकता की भावना को प्रदर्शित करने के लिए देश के कोने-कोने से आए 500 नर्तकों द्वारा एक सांस्‍कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया.

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