गंगा में नहीं पाए गए कोरोना वायरस के निशान, रिसर्च के बाद नदी कोविड-फ्री घोषित

गंगा नदी में कोरोना वायरस के निशान नहीं मिले हैं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी और बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ पल्रियोसाइंसेज, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने ये दावा किया है. दो महीने की रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों ने नदी को कोविड- फ्री घोषित किया. उन्होंने वायरस की मौजूदगी को गोमती नदी में सितंबर 2020 और इस साल 21 मई को पाया था

गंगा नदी कोरोना-मुक्त घोषित

बीएचयू में जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे के मुताबिक, गंगा में कोरोना वायरस के संभावित अंशों की जांच के लिए दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों ने सात सप्ताह तक हर सप्ताह दो सैंपल (15 मई से 3 जुलाई ) वाराणसी शहर से इकट्ठा किया. टीम ने आरएनए निकालकर सभी सैंपल का आरटी-पीसीआर टेस्ट किया. बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ पल्रियोसाइंसेज के वैज्ञानिक और इंस्टीट्यूट में कोविड लैब के प्रमुख नीरज राय के हवाले से कहा गया, “हैरानी की बात है, गंगा से इकट्ठा किसी भी सैंपल में वायरल आरएनए के निशान नहीं दिखे. हालांकि, गोमती नदी से बटोरे गए सैंपल में वायरल आरएनए की मौजूदगी दिखी.”

दो महीने तक किया गया रिसर्च

बीएचयू में न्यूरोसाइसेंस विभाग के प्रोफेसर वीएन मिश्रा गंगा के पानी में कुछ असाधारण गुण को समझने का प्रयास कर रहे हैं. गंगा को कोविड-फ्री बतानेवाली रिसर्च टीम में उनका प्रमुख स्थान है. पिछले महीने आईआईटी, गांधीनगर और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एन्वायरेन्मेंट साइंस के शोधकर्ताओं ने भी अहमदाबाद में साबरमती नदी से लिए गए पानी के सैंपल में कोरोना वायरस के निशान पाए थे. उनके मुताबिक, शहर की कांकरिया और चंदोला झीलों से इकट्ठा किए गए पानी के सैंपल में भी वायरस पाया गया था. शोधकर्ताओं के मुताबिक वायरस प्राकृतिक पानी में लंबे समय तक रह सकता है

हालांकि, अमेरिका की सीडीसी का कहना है कि इसके कोई सबूत नहीं हैं कोरोना वायरस पानी के प्राकृतिक स्रोतों जैसे समुद्र, झील, पूल, हॉट टब में पानी से लोगों तक फैल सकता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी पानी से कोविड-19 के फैलने की संभावना को रद्द कर चुका है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर मई, 2021 के दौरान गंगा और यमुना में कई शव तैरते पाए गए थे. जिससे आशंका हो गई थी कि नदियां कोरोना वायरस से दूषित हो सकती हैं. महामारी के चरम पर नदियों के किनारे बड़ी तादाद में शवों के दफनाने की खबर ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. लेकिन अब घबराने की जरूरत नहीं! वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगा कोविड-फ्री है.

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