कोई महिला पति को किसी से साझा करने को तैयार नहीं हो सकती : इलाहाबाद उच्च न्यायालय

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा है कि कोई भी भारतीय महिला किसी भी कीमत पर अपना पति किसी दूसरे से साझा करने को तैयार नहीं हो सकती और महिला का पति किसी दूसरी महिला से संबंध बनाए या शादी करे तो उस महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा. न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने मृतक महिला के पति द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है. याचिकाकर्ता ने वाराणसी के अपर सत्र न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी थी.
अदालत ने कहा, ‘‘इस मामले में जब महिला को पता चला कि वह पहले से विवाहित है तो यह आत्महत्या करने का पर्याप्त कारण है.” अदालत ने कहा, ‘‘महिला का पति सुशील कुमार मुख्य अपराधी प्रतीत होता है, जिस पर धारा 306 के तहत अपराध का मुकदमा चलाया जाये. यहां मृतक महिला ने स्वयं उत्पीड़न के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई थी.”

उल्लेखनीय है कि मृतक महिला ने 22 सितंबर, 2018 को अपने पति और उसके परिजनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 494, 504, 506 और 379 के तहत प्राथमिक दर्ज कराई थी. उसका आरोप था कि उसका पति पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं. उसने बगैर तलाक लिए दूसरा विवाह कर लिया और अपनी पहली पत्नी के बारे में बताया तक नहीं.

एफआईआर के मुताबिक, जैसे ही महिला को अपने पति की पहली शादी के बारे में पता चला, उसने (पति ने) और उसके परिजनों ने उसका (महिला का) उत्पीड़न करना शुरू कर दिया और लगभग 10-12 साल तक उसकी जिंदगी नर्क बना दी. आरोपों के अनुसार, पति ने अपने परिजनों के दबाव में सभी सीमाएं पार करते हुए अपने दूसरी पत्नी को छोड़ दिया और एक नई महिला को अपने साथ रख लिया.

महिला ने एफआईआर दर्ज कराने के बाद उसी दिन कोई जहरीली चीज खाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. जांच के बाद पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया. पति ने वाराणसी के अपर सत्र न्यायाधीश के समक्ष रिहाई का आवेदन दाखिल किया जिसे खारिज कर दिया गया.

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