राजनीतिक बुलंदियों पर पीएम मोदी, एक के बाद एक बना रहे रिकॉर्ड, क्या 2024 में रचेंगे इतिहास?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिंदगी के 73 साल का सफर आज पूरा कर लिया है. सियासत में कदम रखने के बाद नरेंद्र मोदी ने पलटकर नहीं देखा, बल्कि सियासी बुलंदियों पर चढ़ते गए. उन्होंने कई साहसिक और ऐतिहासिक कदम उठाए हैं, जो सीधे तौर पर उनकी मजबूत इच्छाशक्ति को जाहिर करती हैं. यह कदम चाहे उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उठाए हों या फिर देश के प्रधानमंत्री बने रहते. पीएम मोदी को जब गुजरात की कमान सौंपी गई तो उसे बीजेपी का अभेद दुर्ग बना दिया और देश के पीएम बने तो पार्टी को दो बार पूर्णबहुमत से जीत ही नहीं, दिलाई बल्कि बीजेपी के एजेंडे को भी अमलीजामा पहनाने का काम किया.

नरेंद्र मोदी अगले साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाने में सफल रहते हैं तो वो तीसरी बार सत्ता में ही नहीं आएंगे बल्कि एक नया इतिहास भी रचेंगे, जिसे न तो इंदिरा गांधी कर सकी और न ही राजीव गांधी. वो है लगातार तीन बार चुनाव जीतकर पीएम बनने का. देश में यह करिश्मा सिर्फ पंडित जवाहर लाल नेहरू ही कर सकें हैं. नरेंद्र मोदी के 73वें जन्मदिन के कुछ महीने बाद देश में एक बार फिर से आम चुनाव होने वाले हैं, जिसकी सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. विपक्ष एकजुट होकर बीजेपी को सत्ता की हैट्रिक लगाने से रोकने की कोशिशों में है, लेकिन देखना है कि नरेंद्र मोदी क्या नेहरू जैसा करिश्मा दोहरा पाते हैं?

लगातार चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे

बता दें कि बीजेपी के संगठन में लंबे समय तक रहने के बाद 2001 नरेंद्र मोदी सीधे गुजरात के सीएम बने तो एक दो बार नहीं लगातार चार बार मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने गुजरात को बीजेपी का गढ़ बना दिया. इसके बाद केंद्रीय राजनीति में कदम रखा तो सीधे प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए. बीजेपी ने 2014 का चुनाव पीएम मोदी के नाम पर लड़ा और जीत हासिल की.

2019 में फिर से लोकसभा चुनाव हुए और मोदी अपने दम पर 300 से अधिक सीटें लाने में कामयाब रहे. चुनाव में कई बड़े राजनीतिक दलों का खाता तक नहीं खुला. लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस इस कदर बिखरी कि अपने गढ़ अमेठी को भी नहीं बचा पाई और राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा. प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी ने कई ऐसी उपलब्धियां हासिल की हैं जो सीधे तौर पर उनकी इच्छाशक्ति को जाहिर करती हैं. फिर चाहे जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने की बात रही हो या फिर राम मंदिर का निर्माण. उनके कार्यकाल में लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद का शांतिपूर्ण ढंग से पटापेक्ष हुआ.

पीएम मोदी ने कैसे राजनीतिक बुलंदियों को छूआ?

राजनीति में कदम रखने से पहले पीएम मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे. कई साल तक काम करने के बाद संघ ने 1985 में मोदी को बीजेपी को सौंप दिया. 1988-89 में मोदी को गुजरात बीजेपी का महासचिव बनाया गया. महासचिव बनने के बाद मोदी की सक्रियता और मेहनत को देखते हुए बीजेपी ने 1995 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बना दिया, जबकि पीएम मोदी की पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीति से कोसों दूर थी. इसके बावजूद राजनीतिक बुलंदियों को छूआ.

राष्ट्रीय सचिव बनने के बाद नरेंद्र मोदी दिल्ली आ गए. इसके बाद समय ने करवट ली और 2001 में गुजरात में विनाशकारी भूकंप आया और काफी तबाही मची. इसके बाद तत्कालीन सीएम केशुभाई पटेल को पद से इस्तीफा देना पड़ा. बीजेपी ने केशुभाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया. यह पहला मौका था, जब बीजेपी के किसी नेता को सीधे मुख्यमंत्री बना दिया गया. इसके बाद से पीएम मोदी चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे.

नरेंद्र मोदी के नाम पर जीत दर्ज करती आ रही BJP

गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने फिर कभी पलटकर नहीं देखा. मोदी ने गुजरात को बीजेपी का गढ़ बना दिया. वहीं गुजरात जो 1995 तक कांग्रेस गढ़ हुआ करता था, 2001 के बाद बीजेपी का गढ़ हो गया. 2001 के बाद से राज्य में कुल तीन बार चुनाव हुए और तीनों में बीजेपी को जीत हासिल हुई. मोदी मुख्यमंत्री बने. 2014 आते-आते गुजरात पूरी तरह से बीजेपी का गढ़ हो चुका था, जहां आज भी बीजेपी का ही वर्चस्व है. 2013 के बाद से भी राज्य में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए, उसमें बीजेपी को जीत मिली है और उसके बाद भी नरेंद्र मोदी के नाम पर ही बीजेपी जीत दर्ज करती जा रही.

गुजरात में मोदी के काम और लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी ने 2013 में बड़ा दांव खेल दिया. तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए मोदी को प्रोजेक्ट किया और प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया. भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी कांग्रेस के खिलाफ लोगों का गुस्सा भी था. देश में चुनाव हुए और 336 सीटों पर जीत हासिल करते हुए एनडीए सबसे बड़ा दल बना और 282 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. इस बंपर जीत के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने.

2019 में पहले से और मजबूत होकर सत्ता में लौटी BJP

देश की कमान पीएम मोदी के हाथों में आई तो पूरे देश में एक अलग माहौल बन गया. 2014 के बाद बीजेपी अपनी विचारधारा को जमीन पर उतारने में सफल रही. जिसका असर ये हुआ कि कुछ ही सालों में देश के अधिकतर राज्यों में एनडीए और बीजेपी का कब्जा हो गया. ये वो दौर था जब देश की राजनीति ने भी करवट बदली और पहले जहां देश में अल्पसंख्यक बेस्ड पॉलिटिक्स हावी थी, वो बहुसंख्यक (हिंदू) केंद्रित सियासत में तब्दील हो गई.

इसके बाद 2019 में फिर लोकसभा चुनाव हुए. बतौर प्रधानमंत्री पीएम मोदी का यह पहला चुनाव था जबकि अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. बीजेपी को मेजोरिटी बेस्ड पॉलटिक्स का फायदा मिला और वो पहले से और मजबूत होकर सत्ता में लौटी. चुनाव में बीजेपी अपने दम पर 303 सीटें जीतने में कामयाब रही. वहीं, एनडीए के खाते में 352 सीटें आईं. 2019 के चुनाव में ऐतिहासिक जीत मिलने के बाद बीजेपी पहले से और ताकतवर हुई.

धारा 370 हटाई, तीन तलाक से निजात दिलाई

2019 के चुनाव में जीत के बाद बीजेपी जम्मू-कश्मीर और हिंदुत्व से जुड़े कई मुद्दों को भुनाने में भी सफल रही. पीएम मोदी ने दूसरी बार सत्ता में आने के बाद सबसे एतिहासिक फैसला जम्मू-कश्मीर को लेकर लिया, जो जनसंघ के जमाने से उनकी प्राथमिकता में रहा है. मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया और इसके साथ ही राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया. मोदी सरकार के इस फैसले को विश्व पटल पर भी स्थान मिला. ऐसे ही नरेंद्र मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए कदम उठाया.

पांच अगस्त 2020 एक ऐसी तारीख जो देश के इतिहास में दर्ज हो गई. पीएम नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन कर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का शुभारंभ किया था. भव्य राम मंदिर के निर्माण का सपना बीजेपी तीन दशकों से दिखा तो रही थी, लेकिन लोगों को इसे लेकर सबसे ज्यादा भरोसा उस समय जगा जब मई 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रोज सुनवाई कर फैसला राम मंदिर के पक्ष में दिया.

मोदी है तो मुमकिन है’

राम मंदिर का रास्ता भले ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हुआ हो, लेकिन बीजेपी समर्थक इसके श्रेय के सवाल पर ‘मोदी है तो मुमकिन है’ ही कहते आ रहे हैं. 2024 के चुनाव से पहले अयोध्या में भव्य राममंदिर बनकर तैयार हो जाएगा तो काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर बन चुका है और मथुरा कॉरिडोर का भी काम चल रहा है. इस तरह बीजेपी और संघ के एजेंडो को अमलीजामा पहनाने का काम किया गया है. समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर भी देश में चर्चा चल रही है और पीएम मोदी ने भोपाल की एक रैली में इस बात का जिक्र करके साफ कर दिया है कि उनका अब अगला कदम किस दिशा में होगा.

पीएम मोदी का अब तक कार्यकाल इसलिए भी ऐतिहासिक रहा क्योंकि पूर्वोत्तर के अलावा बंगाल जैसे राज्यों में जहां बीजेपी की गिनती सबसे कमजोर पार्टी के रूप में होती थी, वहां नंबर वन और नंबर दो पार्टी बनी. बंगाल जो हमेशा से लेफ्ट और ममता का गढ़ रहा, वहां के चुनाव में बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बनी. बंगाल में 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी 294 सीटों में 77 सीट जीतने में कामयाब रही जबकि टीएमसी घटकर 213 पर आ गई.

2024 में सत्ता की हैट्रिक लगाने की चुनौती

अब पीएम मोदी के सामने 2024 में सत्ता की हैट्रिक लगाने की चुनौती है. देश की चुनावी राजनीति में जवाहर लाल नेहरू को छोड़ दें तो कोई भी प्रधानमंत्री लगातार तीन बार चुनाव नहीं जीत पाया. नेहरू के बाद इंदिरा गांधी भी लगातार दो बार ही चुनाव जीत पाईं थीं. देश की सियासत में माना जाता है कि दो चुनाव आसानी से जीते जा सकते हैं, लेकिन लगातार तीसरा चुनाव नहीं जीता सकता है. नामुमकिन कामों को नरेंद्र मोदी ने अभी तक मुमकिन करके दिखाया है. ऐसे में अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 के चुनाव जीत हासिल करते हैं वो निश्चित तौर पर एक इतिहास रचेंगे.

…इसलिए भी वो बड़ी और ऐतिहासिक जीत होगी

2024 में अगर पीएम मोदी की जीत होती है तो इसलिए भी वो बड़ी और ऐतिहासिक जीत होगी, क्योंकि इस बार लड़ाई मोदी और विपक्षी गठबंधन INDIA के बीच में होने वाली है. कांग्रेस समेत 28 दल एकजुट होकर INDIA गठबंधन बना चुके हैं. पहले एक सीट पर अलग-अलग दलों के उम्मीदवार उतरते थे, लेकिन 2024 में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एक संयुक्त उम्मीदवार मैदान में उतारने की रणनीति बना रहा है. इस तरह से वन-टू-वन की लड़ाई की पठकथा लिखी जा रही है. ऐसे में अगर बीजेपी और पीएम मोदी को जीत मिलती है तो वह अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी जीत मानी जाएगी.

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