नेटबंदी के मामले में ये राज्य बना देश में दूसरे नंबर का राज्य, दस सालों में 82 बार इंटरनेट पर लगी सरकारी रोक

Internet Banned: राजस्थान की जनता पिछले कई सालों से नेटबंदी यानी इंटरनेट पर रोक की सजा भुगत रही है. नेटबंदी के लिहाज से राजस्थान देश में दूसरे नंबर का राज्य बन चुका है क्योंकि पिछले दस सालों में राजस्थान में सर्वाधिक 82 बार इंटरनेट पर सरकारी रोक लागू हो चुकी है. मुद्दा चाहे प्रतियोगी परीक्षा में नकल रोकने का हो या किसी इलाके में तनाव के बाद अफवाहों की रोकथाम का, प्रशासन को सबसे आसान तरीका अगर कोई नज़र आता है तो वो है इंटरनेट पर पाबंदी. सरकार की इस नेटबंदी को लेकर अब सोश्यल मीडिया पर राजस्थान को लेकर एक बात खूब वाइरल होती दिखती है कि राजस्थान में तीन चीज़ें कभी भी जा सकती है बिजली -पानी और इंटरनेट.

पहले करौली में 2 अप्रेल को नवसंवत्सर के मौके पर तनाव हुआ तो प्रशासन से फ़ौरन नेट पर पाबंदी लगा दी. इसके बाद जोधपुर में ईद पर साम्प्रदायिक तनाव हुआ तो प्रशासन ने इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी. इसी बीच भीलवाड़ा में दो दिन पहले तनाव उपजा तो प्रशासन ने फ़ौरन इंटरनेट को बंद कर दिया. कुल मिलाकर प्रशासन का पूरा ध्यान इंटरनेट बंद करने पर. दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के खरगौन में हिंसा हुई तो एक मिनट के लिए भी इंटरनेट बंद नहीं हुआ. ऐसे में ये साफ़ है कि इंटरनेट पर पाबन्दी लगाना ही राजस्थान सरकार को एक मात्र उपाय नज़र आता है. ऐसे में नेट बंद होने से आम जनता को जो परेशानी होती है सरकार को उससे कोई वास्ता नहीं.

कश्मीर पहले स्थान पर

राजस्थान सरकार की इस बार बार की नेटबंदी लागू करने का नतीजा है कि देश के सबसे ज़्यादा संवेदनशील राज्य जम्मू कश्मीर के बाद राजस्थान वो राज्य है जहां सबसे ज़्यादा नेटबंदी होती है. आंकड़ों के मुताबिक बीते दस सालों में राजस्थान में कुल 82 बार सरकार में नेट पर पाबंदी लगाईं. इस अवधि में जयपुर और सीकर में कुल 16 -16 बार इंटरनेट बंद किया गया. इन दस सालों में उत्तर प्रदेश में 30. पंजाब में 5, हरियाणा में 17, बिहार और गुजरात में 11-11 और महाराष्ट्र में कुल 12 बार नेट बंद किया गया. जोधपुर में अभी भी इंटरनेट सेवा चार दिन से बंद पड़ी है. इस बारे में जोधपुर के जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता का कहना है की कानून व्यवस्था की स्तिथि को दुरुस्त रखने के लिए इंटरनेट पर पाबंदी लगानी पड़ती है.

सरकार के इस नेटबंदी के कदम से आम जनता को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है. इटरनेट बाद रहने से ऑनलाइन फ़ूड ऑर्डर, पानी -बिजली के बिल भुगतान, ऑन लाइन शॉपिंग, फ्लाइट और ट्रैन बुकिंग और ऑन लाइन पेमेंट और मनी ट्रांसफर जैसी सेवाएं बाधित हो जाती है. करौली में तो दस दिनों तक लोगों को इंटरनेट सेवाओं के बंद होने से काफी नुक्सान भी उठाना पड़ा.

इटरनेट पर रोक के सारे रिकार्ड सरकार ने तोड़ डाले

राजस्थान में पिछले साल तो इटरनेट पर रोक के सारे रिकार्ड सरकार ने तोड़ डाले थे. परीक्षा में नकल रोकने के नाम पर पांच दिनों तक इटरनेट पर रोक लगा दी गई इसके बावजूद पेपर लीक और नक़ल के मामले नहीं रोके जा सके. साइबर एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज के कहना है कि अगर सरकार सोच समझ कर नेट पर रोक लगाए तो जनता को परेशानी से बचाया जा सकता है. पूरे इंटरनेट पर रोक की जगह ब्लैक और व्हाईट लिस्ट का उपयोग सरकार को करना चाहिए.

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