मुहर्रम पर जुलूस निकालने की सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी इजाजत, कहा- हाईकोर्ट से पूछें

दिल्ली: देश भर में मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति मांग रही याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हर जगह स्थानीय प्रशासन स्थिति के हिसाब से निर्णय लेता है. पूरे देश पर लागू होने वाला कोई आदेश नहीं दिया जा सकता.

शिया धर्म गुरु कल्बे जव्वाद ने इस मामले में याचिका दाखिल की थी. मामला सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े को अध्यक्षता वाली बेंच में लगा. धर्मगुरु की तरफ से पेश वकील ने कहा कि पूरा एहतियात बरतते हुए जुलूस निकालने की अनुमति दी जानी चाहिए. जिस तरह पूरी में रथ यात्रा की अनुमति दी गई. पर्यूषण पर्व के दौरान जैन समुदाय को मंदिर में जाने की अनुमति दी गई. वैसा ही इस मामले में भी किया जाना चाहिए.

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “रथ यात्रा सिर्फ एक शहर में होनी थी. उसमें यह भी पता था कि यात्रा कहां से शुरू होकर कहां तक जाएगी. इस मामले में जुलूस पूरे देश में निकलने हैं. कुछ स्पष्ट नहीं है कि किस शहर में कहां से यात्रा शुरू होगी और कहां तक जाएगी. हम राज्य सरकारों को सुने बिना पूरे देश में लागू होने वाला कोई आदेश कैसे दे सकते हैं? बेहतर हो कि हर जगह फैसला वहां के प्रशासन को लेने दिया जाए.“ कोर्ट ने यह भी कहा कि पर्युषण के दौरान भी सिर्फ मुंबई में तीन जैन मंदिरों को खोलने की अनुमति दी गई थी. वहां एक बार में सिर्फ 5 लोगों को जाने की इजाजत थी.

वकील ने कोर्ट से मुहर्रम के धार्मिक महत्व को बताते हुए मामले पर विचार की दरख्वास्त की. लेकिन कोर्ट ने कहा, “आप हमारी दिक्कत नहीं समझ रहे हैं. पूरे देश के लिए कोई एक आदेश नहीं दिया जा सकता है. हर जगह जुलूस का आदेश दे दिया गया तो हालात बेकाबू हो सकते हैं. लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है. कल को एक समुदाय विशेष पर लोग कोरोना फैलाने का आरोप लगाएंगे. ऐसी स्थिति की अनुमति नहीं दी जा सकती है.“

सुप्रीम कोर्ट के इस रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि लखनऊ में शिया समुदाय की सबसे ज्यादा आबादी है. कम से कम सुप्रीम कोर्ट वहां पर जुलूस निकालने की अनुमति दे दे. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा अगर बात सिर्फ लखनऊ में जुलूस निकालने की है तो इस पर सुनवाई की उचित जगह इलाहाबाद हाईकोर्ट है. आप वहां जा सकते हैं.

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