फिर जनगणना कराने की तैयारी में सरकार! गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट में कही बड़ी बात

देश में केंद्रीयकृत डाटा प्रबंधन के लिए सरकार रिजस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ एक्ट में संशोधन के लिए विधेयक ला सकती है. इस बीच गृह मंत्रालय ने अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की है. इसमें मंत्रालय की ओर से नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी एनपीआर को अपडेट करने की जरूरत बताई गई है. ऐसा असम को छोड़कर पूरे देश में करने की बात कही गई है. इसके जरिये देश में हुए जन्म, मौतों और प्रवासन के कारण जनसांख्यिकीय आंकड़ों में हुए बदलावों की पहचान की जा सकेगी. साथ ही हर परिवार और प्रत्येक व्यक्ति से संबंधित जानकारी भी दर्ज की जा सकेगी.

गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड 19 महामारी के कारण एनपीआर अपडेट करने का काम और अन्य फील्ड एक्टिविटी रुक गई थीं. एनपीआर डाटा को अपडेट करने में तीन तरह के दृष्टिकोण अपनाए जा सकते हैं. इसमें पहला हो सकता है सेल्फ अपडेटिंग की प्रक्रिया. इसमें लोग अपने आंकड़े खुद अपडेट कर सकेंगे. इसके लिए ऑथेंटिकेशन प्रोटोकॉल भी होगा. इसके अलावा पेपर फॉर्मेट और मोबाइल मोड के जरिये भी ऐसा हो सकेगा. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान हर परिवार और व्यक्ति से संबंधित डाटा भी इसमें अपडेट करने में मदद मिलेगी.

प्रक्रिया के दौरान नहीं मांगे जाएंगे बायोमीट्रिक और दस्तावेज
रिपोर्ट में संकेत दिए गए हैं कि अपडेशन की इस प्रक्रिया के दौरान कोई भी दस्तावेज या बायोमीट्रिक की मांग नहीं की जाएगी. गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से एनपीआर को अपडेट करने के काम के लिए 3,941 करोड़ रुपये भी मंजूर किए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अप्रैल, 2021 से 31 दिसंबर, 2021 के बीच गृह मंत्रालय समेत अन्य अथॉरिटीज की ओर से 1,414 नागरिकता सर्टिफिकेट मंजूर किए गए हैं. इनमें से 1120 नागरिकता सर्टिफिकेट को सिटिजनशिप एक्ट 1955 के अंतर्गत आने वाले सेक्शन 5 और सेक्शन 6 के तहत भेजे गए हैं.

3 पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदाय को भारतीय नागरिकता!
गृह मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से 29 जिलों के जिलाधिकारी और 9 राज्यों के गृह सचिवों को यह अधिकार दिया गया है कि वह पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता दे सकें. ऐसा जरूरी जांच के बाद किया जाए. गृह मंत्रालय की ओर से तीनों पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदायों के 2439 लोगों को लंबी अवधि के वीजा जारी किए हैं. ऐसा पिछले एक साल में हुआ है. इनमें पाकिस्तान के 2193, अफगानिस्तान के 237 और बांग्लादेश के 9 लोग शामिल हैं.

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