बजट से पहले क्यों नहीं पेश किया गया आर्थिक सर्वेक्षण, क्या है आम बजट और अंतरिम बजट में अंतर?

बजट 2024 से पहले क्यों पेश नहीं किया जाएगा आर्थिक सर्वेक्षण?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज (1 फरवरी) अंतरिम बजट 2024 पेश करेंगी। हर साल बजट दस्तावेज पेश होने से एक दिन पहले केंद्र सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश करती है। हालांकि इस बार, यह आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं किया जा रहा है। इस बार आम चुनाव के कारण जरूरी वित्तीय कार्यों के प्रबंधन के लिए सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी। पूर्ण बजट लोकसभा चुनाव संपन्न होने और नई सरकार के गठन के बाद पेश किया जाएगा। चूंकि चुनावों के कारण पूर्ण बजट प्रक्रिया बाधित रहेगी, इसलिए आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी को पेश नहीं किया जाएगा।

आर्थिक सर्वेक्षण की जगह अंतरिम बजट से पहले सरकार ने कौन सी रिपोर्ट जारी की?
इसके बजाय, केंद्र ने पिछले 10 वर्षों में भारत की यात्रा पर ‘भारतीय अर्थव्यवस्था-एक समीक्षा’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था के परिदृश्य की झलक भी साझा की गई है। यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन के कार्यालय की ओर से तैयार की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “यह आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तैयार किया गया भारत का आर्थिक सर्वेक्षण नहीं है। वह आम चुनाव के बाद पूर्ण बजट से पहले आएगा। यह समीक्षा भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और पिछले दस वर्षों में इसकी यात्रा का जायजा लेती है और आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था के लिए दृष्टिकोण का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट में कहा गया कि यह भारत का आर्थिक सर्वेक्षण नहीं है। आर्थिक सर्वेक्षण आम चुनाव के बाद पूर्ण बजट पेश होने से पहले पेश किया जाएगा।

आर्थिक सर्वेक्षण क्या है?
यह वार्षिक वित्तीय विवरण से पहले वर्ष में एक बार प्रस्तुत किया जाने वाला एक विस्तृत दस्तावेज़ है। दस्तावेज़ में केंद्र सरकार के सभी महत्वपूर्ण विकासात्मक कार्यक्रम शामिल हैं। यह केंद्र सरकार की नीतिगत पहलों पर भी प्रकाश डालता है।

आम बजट और अंतरिम बजट में क्या अंतर है?
जिस साल देश में आम चुनाव होने होते हैं उस वर्ष सरकार अंतरिम बजट का उपयोग देश की मशीनरी को बिना किसी अड़चन के आगे बढ़ाने के लिए करती है। भारत सरकार हर साल फरवरी के पहले दिन केंद्रीय आम बजट पेश करती है और यह बजट आगामी वित्तीय वर्ष के लिए एक वित्तीय ब्लूप्रिंट के रूप में कार्य करता है। हालांकि, 2024 में होने वाले आम चुनावों के कारण, केंद्र सरकार इस साल पूर्ण बजट पेश नहीं करेगी, बल्कि इस बार 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद के बजट सत्र के दौरान अंतरिम बजट पेश करेंगी। आइए देश के आम बजट और चुनावी साल में पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट की परिभाषा के जरिए उनके बीच का अंतर समझते हैं।

आम बजट या नियमित बजट क्या है?
वार्षिक बजट हर साल फरवरी में पेश किया जाता है और यह आगामी वित्तीय वर्ष के लिए 1 अप्रैल से 31 मार्च तक का पूर्ण वित्तीय विवरण होता है। इस दस्तावेज़ में करों और अन्य उपायों के माध्यम से सरकार के राजस्व स्रोतों की एक व्यापक सूची शामिल होती है। इसके अलावे इसमें बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किए जाने वाले सुझाए गए व्यय भी शामिल होते हैं। यह दस्तावेज आने वाले पूरे वित्तीय वर्ष के लिए देश के लिए एक विस्तृत वित्तीय रोडमैप प्रदान करता है, देश के वित्तीय लक्ष्यों व नीतिगत पहलों को निर्धारित करता है और देश के आर्थिक ढांचे को आकार देता है। नियमित बजट में पारित होने से पहले व्यापक संसदीय बहस, जांच, संशोधन और चर्चा भी की जाती है।

अंतरिम बजट क्या है?
देश में जिस वर्ष आम चुनाव होते हैं उस साल सरकार अंतरिम बजट का उपयोग देश की मशीनरी को बिना किसी अड़चन के आगे बढ़ने में मदद करने के लिए करती है। अंतरिम बजट भी फरवरी में पेश किया जाता है, हालांकि, यह आने वाले पूरे वित्तीय वर्ष के बजाय, चालू वित्त वर्ष के बचे महीनों को कवर करता है। अंतरिम बजट यह सुनिश्चित करने के लिए पेश किया जाता है कि वेतन, पेंशन और कल्याण कार्यक्रमों जैसी आवश्यक सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रह सकें। अंतरिम बजट में सरकार किसी भी बड़ी नीतिगत घोषणा या कराधान में किसी बड़े बदलाव से बचती है, ताकि चुनावी मौसम से पहले मतदाताओं को किसी भी तरह से प्रभावित करने से बचा जा सके। अंतरिम बजट निवर्तमान सरकार के कार्यकाल के शेष महीनों के लिए एक अस्थायी वित्तीय रोडमैप के रूप में कार्य करता है। अंतरिम बजट में शामिल अनुमोदन प्रक्रिया भी कम जटिल है। इस पर बहुत अधिक संसदीय चर्चा भी नहीं होती है।

लेखानुदान क्या है? इसका क्या रोल है?
हालांकि, एक बार चुनाव संपन्न होने और नया वित्तीय वर्ष शुरू होने के बाद, नई सरकार के गठन और आधिकारिक रूप से कार्यभार संभालने से पहले एक छोटी अवधि होती है। इस महत्वपूर्ण अवधि में सिस्टम कैसे काम करता है यह भी जानना जरूरी है। इसके लिए लेखानुदान की जानकारी जरूरी है। चुनाव संपन्न होने और नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद देश के सिस्टम में निरंतरता सुनिश्चित करने और प्रशासन व संचालन में किसी भी प्रकार की रुकावट से बचने के लिए ‘लेखानुदान’ का इस्तेमाल किया जाता है। यह सुविधा देश का प्रशासनिक और आर्थिक इंजन चलता रहे यह सुनिश्चित करने के लिए है। यह एक अस्थायी उपाय है और नई सरकार को एक सीमित अवधि के लिए भारत की समेकित निधि से धन का उपयोग (आमतौर पर दो महीने के लिए) करने का अधिकार देता है। इसका प्रावधान इस लिए किया गया है ताकि वेतन और जारी कल्याण कार्यक्रमों जैसे तत्काल खर्चों का प्रबंधन किया जा सके। यह उपाय पूर्ववर्ती सरकार के बजट या अंतरिम बजट पर आधारित होता है।

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