चीन का सपोर्ट कर डरा भूटान! डैमेज कंट्रोल करने PM नरेंद्र मोदी से मिले किंग

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात की है. इस मुलाकात में दोनों शीर्ष नेताओं ने आर्थिक सहयोग समेत कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर फोकस किया है. भूटान किंग सोमवार को दो दिवसीय भारत दौरे पर आए हैं.

भूटना नरेश का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जबकि चीन, थिम्फू पर अपना वर्चस्व बनाने में जुटा हुआ है और इसे लेकर नई दिल्ली में चर्चाएं हो रही हैं. इस वजह से उनका दौरा बहुत अहम माना जा रहा है. जानकारी सामने आ रही है कि दोनों देशों के प्रमुख नेताओं की मीटिंग में द्विपीय संबंधों को बढ़ाने पर चर्चा हुई है.

हाल ही में भूटान के प्रधान मंत्री लोटे त्शेरिंग ने कुछ बयान दिए थे, इन बयानों में उन्होंने डोकलाम पर ट्राई जंक्शन के बारे में जिक्र किया था. जानकारों ने उनके बयानों को चीन से घनिष्ठता के तौर पर देखा था. हालांकि भूटान ने बाद में स्पष्ट किया था कि बॉर्डर विवाद पर उनका रुख नहीं बदला है.

भूटान पीएम ने कहा- चीन बराबरी का हितधारक
बता दें कि त्शेरिंग ने बेल्जियन न्यूजपेपर ले लिब्रे को दिए इंटरव्यू में कहा था कि डोकलाम में सीमा विवाद में चीन बराबर का हितधारक है. इस दौरान त्शेरिंग ने चीन पर लगे उन आरोपों को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि चीन ने भूटान की सीमा में गांव बसाए हैं. इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत, भूटान और चीन आपस में इस मसले को सुलझा सकते हैं.

दिल्ली एयरपोर्ट पर भूटना नरेश का स्वागत विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया. यह उनकी भारत यात्रा के महत्व को दिखाता है. सोमवार शाम को जयशंकर ने भूटान नरेश से मुलाकात की और कहा कि भूटान के भविष्य को लेकर और भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने का विजन तारीफ ए काबिल है.

भारत के लिए IMP है डोकलाम
भूटान भारत के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण देश है. पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच द्वपक्षीय संबंधों में कई मायनों में प्रोग्रेस देखी गई है. 2017 में डोकलाम ट्राई जंक्शन पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच करीब 73 दिनों का फेस ऑफ चला था, इसके बाद से भारत और भूटान के बीच बड़े बदलाव देके गए हैं.

भारत के रणनीतिक हित को देखते हुए डोकलाम ट्राइ जंक्शन बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह उस वक्त हुआ था जब कि चीन उस जगह पर रोड बनाना चाहता था जिसे भूटान अपना हिस्सा बताता है. भारत ने इसका पुरजोर विरोध किया था क्योंकि इससे भारत की सुरक्षा में सेध लगाई जा सकती थी. भारत और चीन के बीच हुआ बड़ा है.

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